सोमवार, 31 दिसंबर 2018

कहाँ है नयापन ?


आज सूरज नहीं उभरेगा 
पश्चिम की पृष्ठभूमि से 
न ही नदी बदल देगी अपना रास्ता 
मुकर जायेगी समंदर से मिलने से 
वृक्ष भी कहाँ तक संजोये रहेंगे पीले पत्ते 
जिन्हें सूख जाना है अंततः 
फिर कहो, कहाँ है नयापन
किस बात का है उत्सव ?

नहीं मिलेंगी रोटियां 
पैसों के बिना 
नहीं मिलेगी छत 
काम के पैसे वाजिब 
अब भी कहाँ मिलेंगे 
बलून बेचता वह बच्चा 
कहाँ पायेगा स्कूल 
फिर कहो, कहाँ है नयापन 
किस बात का है उत्सव ? 

बेटियां कोख में 
मारी जाएँगी फिर भी 
जो बचेंगी, संभालती फिरेंगी 
अपनी छाती जन्म भर 
कुछ सिसकियाँ भरती रहेंगी 
खामोशी के साथ 
फिर कहो, कहाँ है नयापन 
किस बात का है उत्सव ? 

3 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (02-01-2019) को "नया साल आया है" (चर्चा अंक-3204) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. यथास्थिति बनाए रखने का दोषी कौन - प्रयास करने पड़ेंगे .

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  3. वर्तमान परिस्थीतीयाों को दर्शाती हुये सटिक रचना बधाई

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