घृणा से उपजी ऊर्जा से
पिघला कर इस्पात
बनती हैं तलवारें, बंदूकें
बम्ब और बारूदें
बम वर्षक विमानें
मरते हैं आदमी
मरती है आदमीयता
तुम ऐसा करना
तुम्हारे भीतर जो हो किसी से घृणा
उसे शब्दों में देना ढाल
देखना बनेगी
दुनिया की सबसे खूबसूरत कविता
कवितायेँ नहीं करती
रक्तरंजित इतिहास
वे तिनका हो जाती हैं
जब डूब रही होती हैं मानवता।
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (01-05-2019) को "संस्कारों का गहना" (चर्चा अंक-3322) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सुन्दर
जवाब देंहटाएंब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 30/04/2019 की बुलेटिन, " राष्ट्रीय बीमारी का राष्ट्रीय उपचार - ब्लॉग बुलेटिन “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंबढ़िया
जवाब देंहटाएंअच्छा लगा !किसी ने तो समझी मन की उलझन
जवाब देंहटाएंकवितायेँ नहीं करती
जवाब देंहटाएंरक्तरंजित इतिहास
वे तिनका हो जाती हैं
जब डूब रही होती हैं मानवता।
बेहतरीन रचना ,सादर नमस्कार
कवितायेँ नहीं करती
जवाब देंहटाएंरक्तरंजित इतिहास
मानवता को उबारने के लिये कविताए दायित्व निर्वहन को तत्पर हो जाती है
शानदार अभिव्यक्ति
आवश्यक सूचना :
जवाब देंहटाएंसभी गणमान्य पाठकों एवं रचनाकारों को सूचित करते हुए हमें अपार हर्ष का अनुभव हो रहा है कि अक्षय गौरव ई -पत्रिका जनवरी -मार्च अंक का प्रकाशन हो चुका है। कृपया पत्रिका को डाउनलोड करने हेतु नीचे दिए गए लिंक पर जायें और अधिक से अधिक पाठकों तक पहुँचाने हेतु लिंक शेयर करें ! सादर https://www.akshayagaurav.in/2019/05/january-march-2019.html
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जवाब देंहटाएंmechanical engineering
बहुत अच्छा लिखा है आपने
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