बुधवार, 14 फ़रवरी 2024

प्रेम

 प्रेम

दरअसल है 

एक बड़ा झूठ है


आसमान से तारे 

नहीं लाए जा सकते हैं 

तोड़कर

अन्यथा आसमान हो गए होते खाली

और धरती पर सुबुक रहे होते सब तारे


या टूटे हुए तारों को देख कर

मांगी गई मन्नतें भी 

नहीं होती हैं पूरी

नहीं तो सिसक नहीं रही होती नदियां

बांधों के भीतर 


प्रेम में देने वाले जान

वास्तव में होते हैं बेहद कमजोर

जो नहीं खोद सकते खेत

उपजाने के लिए अन्न

और और ऐसे कमजोर लोग

नहीं होने चाहिए प्रेरणा। 


प्रेम वह है जिसे हम 

प्रेम कहते ही नहीं 

जैसे यदि कभी दिखे 

 किसी बूढ़े को सड़क पार कराते युवा 

तो समझिए वह प्रेम में है, उसके भीतर है 

एक कोमल हृदय


या फिर सड़क बुहारती स्त्री 

सुबह सुबह मुझे प्रेम में पड़ी प्रतीत होती है

जिसके केंद्र में होते हैं बच्चे, परिवार

किंतु इन चित्रों को नहीं रखा जाता है

प्रेम की श्रेणी में। 


क्षमा करना प्रिय ! 

मेरा प्रेम, दुनिया के प्रेम से है

थोड़ा अलग।

मेरे प्रेम हैं 

नदी, आसमान, आग, पानी, हवा, पहाड़, खेत

और सब के सब बेहद परेशान हैं, उदास हैं! 

हां, इस अंधी सुरंग के उस पार है

झीनी झीनी सी ज्योति, रोशनी! 




8 टिप्‍पणियां:

  1. प्रेम का यह रूप बहुत सुंदर है, सत्यम - शिवम - सुंदरम की तरह !

    जवाब देंहटाएं