मंगलवार, 28 जनवरी 2025

घबराना एक प्रतिक्रिया है

घबराना 

पहली प्रतिक्रिया है  

है एकदम नैसर्गिक !


कुछ लोग 

घबरा जाते हैं 

बहुत जल्दी 

छुई-मुई से होते हैं वे 

अपनी सामाजिक/आर्थिक/मानसिक स्थिति के प्रति 

ऐसे लोग प्रतिकूल परिस्थितियों से/विपत्तियों से तो 

लेते हैं निपट किन्तु जब बात आती है  

उनके स्वाभिमान और अस्मिता पर 

वे घबरा जाते हैं 


कुछ लोग कभी नहीं घबराते 

उनपर आलोचनाओं और प्रतिकूल परिस्थितियों का 

नहीं होता कभी कोई असर 

और ऐसे लोगों की संख्या बढ़ रही है लगातार 

घरों में, समाज में, सत्ता में । 


नहीं घबराने वाले लोग

जन्म देते हैं युद्ध हो 

नष्ट करते हैं पर्यावरण को 

दूषित करते हैं मानवीय परिवेश को   !


अक्सर घबराने वाले लोग 

बेहद मासूम होते हैं दुनियाँदारी से अनिभिज्ञ 

बहुत सकुचाते हैं वे लोग 

अपनी उपस्थिती दर्ज़ कराने से । 


बचने के लिए अपने दामन पर दाग या आंच से 

कुछ लोगों की प्रतिक्रिया होती है 

घबराहट के रूप में ! 


बड़े प्रिय और ईमानदार होते हैं 

अपने व्यवहार और किरदार में 

घबराने वाले लोग । 


यह मेरी कमजोरी हो सकती है कि

मुझे घबराए हुये लोग 

बहुत अच्छे लगते हैं ! 

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