सरोकार
शुक्रवार, 14 फ़रवरी 2025
प्रेम
1.
हवा
कब जाहिर करता है
अपना प्रेम!
2.
पानी का प्रेम
तो होता है
रंगहीन, स्वादहीन!
3.
आकाश के प्रेम को
कब समेटा जा सका है
बाहों में !
4.
आग का प्रेम
क्या केवल जलाता है !
5.
धरती का प्रेम
तो है धैर्य में।
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