मंगलवार, 2 मार्च 2010

नुक्कड़ का कुत्ता

याद है
मुझे नुक्कड़ का वो कुत्ता

मुझे देखते ही पूँछ हिलाता था
जैसे कि इन्तजार हो उसे
मेरे आने का स्कूल की आठ घंटियों के बाद !

स्कूल के बाद सबसे पहले मिलता रहा मैं
उससे सुनाता रहा
मास्टर मास्टरनियों के किस्से
दोस्तों के साथ की गई मारपीट
लड़कियों के चोटी खीचने की कहानिया
कितना ही ख्हत्ता मीठा चूरन खिलाया था उसे
याद है मुझे नुक्कड़ का वो कुत्ता

फिर स्कूल से कॉलेज
पहले प्यार की कहानी
अपनी पहली कविता
बाबूजी की बीमारी
और माँ के नहीं रहने की खबर
बहिन के लिए वर की तलाश
और भाभियों की फटकार
वर्षों तक मेरा राजदार रहा था वो
याद है मुझे नुक्कड़ का वो कुत्ता

नौकरी की खोज
परीक्षाओं के फार्म
बेरोजगारी का दर्द
असफलता के आंसू और
फिर सफलता का पहला पोस्ट
क्या क्या नहीं बांटा था मैं उससे
याद है मुझे नुक्कड़ का वो कुत्ता


अपना शहर
ए़क दिन
पराया हो गया
पराये हो गए वो नुक्कड़
और वो कुत्ता भी...
फिर खबर आयी कि
पिछली सर्दी वो सोया तो सोया रह गया
कुत्ता था वो!
मेरे इन्तजार में नुक्कड़ नहीं छोड़ा उसने !

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