'तस्वीरें भी
धुंधली हो जाती हैं
समय के साथ लेकिन
यादों से ज्यादा नहीं...
यादों को
तुम भुला भी सकते हो
विस्मृत कर सकते हो
तस्वीरें फिर भी
जिन्दा रहती हैं
जिन्दा रखती हैं...
चलो इस्सी बात पर
मुझे खीचने दो
अपनी ए़क तस्वीर तुम "
कहा था मैंने
उस से ए़क बार
लेकिन ठीक से याद नहीं कब !
वो तस्वीर अब भी है ।
सुंदर। देखा तस्वीर खींचना भी याद है और तस्वीर भी ... फिर धुंधलापन तो मन का भ्रम है।
जवाब देंहटाएंसुदर रचना
जवाब देंहटाएंविकास पाण्डेय
www.विचारो का दर्पण.blogspot.com
sundar bhav.
जवाब देंहटाएंमुझे खीचने दो
जवाब देंहटाएंअपनी ए़क तस्वीर तुम
kavita ki jaan hai ye lines. bahut khushkismat hoge vo shakhas jiski tasvir na khinchkar bhi uski tasvir aapki kavita mein maujud hai.
कविता तो बहुत अच्छी है पर ये तस्वीर थी किसकी??
जवाब देंहटाएंBahut hi bhavpurn kavita. Tasveer,yaado ko sajone ka ek sashakt madhyam hai. vo dhundhli ho sakti hai lekin uski sukhad yaade kabhi vismrit nahi ho sakti.
जवाब देंहटाएंrachna ji, kavita acchi lagi shukriya! bahut din baad aap humare blog par aayee !
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया,
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