रविवार, 14 अगस्त 2011

लाल किले की प्राचीर से



१.
यह प्राचीर
बहुत ऊँची है
यहाँ से नीचे
बैठती है जनता जहाँ
दिखाई नहीं देता
कुछ साफ़ साफ़

२.
यह प्राचीर
बहुत दूर है
यहाँ से चली
घोषणाओं को
पहुचने में जनता तक
हो जाता है
पारेषण ह्रास

३.
यह प्राचीर
टिकी  है
जनता की पीठ पर
इसलिए इसका  भी है
हाल वही
जो होता है
नीव की ईंट का

४.
इस प्राचीर से
किये जाते हैं
तरह तरह के वादे
दिए जाते हैं
दुनिया भर को सन्देश
भरी जाती हैं हुंकार
बलिदान के लिए
रहते हैं तैयार
बुलेट प्रूफ पारदर्शी शेल के बीच से


इस प्राचीर से
लिया जा रहा है
हर साल नाम
हमारे गाँव का
हमारे खेतों का
हमारे बेरोजगार भाई का
कम होती बहनों का
बिजली का
दंगों का
स्कूलों का
कालेजों का 
शिक्षको की कमी का

कुल मिला कर
मुद्दे बदले नहीं हैं
इस प्राचीर के
इन ६४ सालों में 

33 टिप्‍पणियां:

  1. कुल मिला कर
    मुद्दे बदले नहीं हैं
    इस प्राचीर के
    इन ६४ सालों में.

    सच है पहले खतरा बाहर से था अब अंदर से.

    कविता बहुत सुंदर है.

    स्वतंत्रता दिवस और रक्षाबंधन की आपको बहुत बहुत शुभकामनायें.

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  2. यह प्राचीर
    टिका है
    जनता की पीठ पर
    इसलिए इनका भी है
    हाल वही
    जो होता है
    नीव की ईंट का

    हर शब्द अपनी सार्थकता जाहिर कर रहा है और हमारे सामने हमारी हकीकत को वयां कर रहा है ...!

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  3. कुछ नही बदला 64 सालो मे कल भी गुलाम थे आज भी गुलाम हैं।

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  4. is pracheer me sabhi daave prachur hote hote pracheen ho gaye. sunder prastuti...alag soch.badhayi.

    ab se mere is blog par bhi aapki prateeksha rahegi..

    http://anamka.blogspot.com/2011/08/blog-post.html

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  5. प्राचीर से किये वादे कहाँ पूरे होते हैं .. खुद ही जब बुलेट प्रूफ शैल में घुसे हों तो जनता को कहाँ देख पाएंगे हमारे नेता ... अच्छी प्रस्तुति

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  6. सच कहा है आपने यह प्राचीर बहुत दूर है .उतनी ही दूर जितना सत्ता व् जनता के बीच दूरी है .आभार
    devi chaudhrani

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  7. पाँचों सटीक ... बहुत कुछ सच बयान करती हुयी ... पता नहीं ये दूरी कब मिटेगी ...

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  8. याद कीजिए...... आज़ादी ६४ सालों में आपको ऐसी कौन सी घटना ऐसी लगी - गोया हम आज़ाद हैं.

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  9. ये केवल कविताएं नहीं हैं, लाल किले के चरित्र का प्रमाण पत्र भी हैं।
    बहुत दिनों के बाद सचमुच की और ठोस कविताएं पढ़ने को मिली हैं।
    बार-बार पढ़ने लायक प्रस्तुति के लिए बधाई, राय साहब।

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  10. bhuat hi sach aur ye sach bhaut hi kadwa sach hai... bhaut hi sarthak rachna...

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  11. यहां आम जनता के लिये नहीं ,खास देशों के लिये बात होती है ।
    प्रभावशाली प्रस्तुति ।

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  12. वहाँ से आते आते, सूख जाती हैं कई नदियाँ...

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  13. कुल मिला कर
    मुद्दे बदले नहीं हैं
    इस प्राचीर के
    इन ६४ सालों में ....

    बहुत सच कहा है..आम आदमी आज भी वहीं खड़ा है, जहां वह पहले था..बहुत सटीक प्रस्तुति..

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  14. यह प्राचीर
    बहुत ऊँची है
    यहाँ से नीचे
    बैठती है जनता जहाँ
    दिखाई नहीं देता
    कुछ साफ़ साफ़

    इस प्राचीर की तो आपने धज्जियां उड़ा दिन अरुण जी
    ६४ सालों में भी हम वहीँ खडी हैं ....
    फिर भी अपना वतन है अपना वतन ....

    ये हर बार प्रथम आने का गुर कहाँ से सीखा ....

    :))

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  15. इस कविता को पढ़ने के बाद जि निकल कर आया वह मुझे यह कहने पर मज़बूर कर रहा है कि
    समय के बदलते इस दौर में आज एक अलग तरह की भूख पैदा हो गई है। निम्‍नवर्ग के लोगों का शोषण कर अपनी क्षुधा तृप्त करते हैं। इसलिए इनकी स्थिति सुधरती नहीं। विकास के जयघोष के पीछे इन्‍हें आश्‍वासन के सिवा कुछ भी नहीं मिलता। इनकी किस्‍मत की फटी चादर का आज कोई रफुगर नहीं।

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  16. बेहतरीन कविता भाई अरुण जी बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं

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  17. कुल मिला कर
    मुद्दे बदले नहीं हैं
    इस प्राचीर के
    इन ६४ सालों में
    बहुत सुंदर....

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  18. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    स्वतन्त्रता की 65वीं वर्षगाँठ पर बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!

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  19. बहुत सही कहा है सर
    स्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ!
    HAPPY INDEPENDENCE DAY!

    सादर

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  20. सुन्दर प्रस्तुति.
    स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई और शुभकामनायें.

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  21. यह प्राचीर
    टिका है
    जनता की पीठ पर
    इसलिए इनका भी है
    हाल वही
    जो होता है
    नीव की ईंट का

    बेहतरीन रचना !!
    आप का ये तीखा प्रहार बहुत सोचने को विवश करता है
    आज़ादी की सालगिरह मुबारक हो

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  22. उम्दा...
    स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं

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  23. यह प्राचीर
    टिका है
    जनता की पीठ पर
    इसलिए इनका भी है
    हाल वही
    जो होता है
    नीव की ईंट का

    सार्थक और सशक्त प्रस्तुति. आभार. स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें...
    सादर,
    डोरोथी.

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  24. वाह बेहतरीन प्रस्तुति!!!!
    स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं….!

    जय हिंद जय भारत

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  25. सार्थक सशक्त प्रस्तुति...
    राष्ट्र पर्व की सादर बधाईयाँ...

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  26. वाह...सार्थक एवं सटीक प्रस्‍तुति ...आभार ।

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  27. लाल किले की प्राचीर से किये जाने वाले उदघोशों को सही और उचित प्रमाण पत्र - सार्थक और सटीक रचना के लिए हार्दिक बधाई.

    "यह प्राचीर
    टिका है
    जनता की पीठ पर
    इसलिए इनका भी है
    हाल वही
    जो होता है
    नीव की ईंट का"

    अनुपम बिम्ब के लिए आभार

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  28. ye prachir sach itani unchi ho gayee hai ki yaha se har mudda chhota hi dikhai deta hai ya nazar hi nahi aata....har bimb behtareen...

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  29. अब तो इस प्राचीर से तोपें दागी जा रही हैं निहत्थों पर.. लग रहा है कि बूढ़े भारत में फिर से "नयी जवानी" आ गयी है...

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  30. ये क्‍या कम है कि मुद्दे, मुद्दे माने जा रहे हैं.

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  31. बहुत खूब अरुण जी........सच है राजनीती में ६४ सालों में कुछ भी नहीं बदला|

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