प्रदेश के मुख्यमंत्री का
विसर्जित जनता दरबार,
विसर्जित जनता दरबार,
अब, खाली ये कुर्सियां
रात को शांत पड़ीं
जैसे थक कर सोया हो
एक्के का घोडा,
स्टेशन का कुली
या दिहाड़ी मजदूर,
सो रही हैं
ये खाली कुर्सियां
जनता दरबार में।
समेट कर रख दी गई हैं
कुर्सियाँ, एक ओर,
कभी-कभी
रात को शांत पड़ीं
जैसे थक कर सोया हो
एक्के का घोडा,
स्टेशन का कुली
या दिहाड़ी मजदूर,
सो रही हैं
ये खाली कुर्सियां
जनता दरबार में।
समेट कर रख दी गई हैं
कुर्सियाँ, एक ओर,
कभी-कभी
एक के ऊपर एक तक
क्योंकि
क्योंकि
बुहारा जायेगा परिसर,
बहुत सी गुहारें
और किए गए वायदों का कचरा।
बहुत सी गुहारें
और किए गए वायदों का कचरा।
इन्हीं कुर्सियों में से
कुछ एक पर
दिन भर बैठी थी
बेकारी, बेगारी,
विनती कर रही थी -
नहीं मिली है वर्षों से
कीमत वाजिब -
पसीने की,
कुछ एक पर
दिन भर बैठी थी
बेकारी, बेगारी,
विनती कर रही थी -
नहीं मिली है वर्षों से
कीमत वाजिब -
पसीने की,
दिलवा दी जाय।.
इस बार भी सुनी गई
इस बार भी सुनी गई
माननीय द्वारा
गुहार
पहले की तरह,
खाली कुर्सियाँ गवाह हैं।
एक खाली कुर्सी पर
बैठी थी कुँवारी अस्मिता
जिससे खेला गया कई बार
पहले की तरह,
खाली कुर्सियाँ गवाह हैं।
एक खाली कुर्सी पर
बैठी थी कुँवारी अस्मिता
जिससे खेला गया कई बार
वालीबाल की तरह
कभी खेतों में,
फैक्ट्रियों में,
थानों में अक्सर,
कभी मंत्री जी के घर
पीछे वाले कमरे में।
उसकी भी बात
कभी खेतों में,
फैक्ट्रियों में,
थानों में अक्सर,
कभी मंत्री जी के घर
पीछे वाले कमरे में।
उसकी भी बात
सुन ली मंत्री ने,
कैमरे को देखकर
प्रकट की संवेदना, और
कंधे पर रख हाथ
आश्वश्त किया,
पहले की तरह, बस,
रोई थी कुर्सी पहले पहल,
कैमरे को देखकर
प्रकट की संवेदना, और
कंधे पर रख हाथ
आश्वश्त किया,
पहले की तरह, बस,
रोई थी कुर्सी पहले पहल,
पर, अभ्यस्त हो गई है
उस रुदन से,
भावना में नहीं बहती, अब।
एक कुर्सी
पहली बार आई है
दरबार में,
दिन भर बैठी रही
उस रुदन से,
भावना में नहीं बहती, अब।
एक कुर्सी
पहली बार आई है
दरबार में,
दिन भर बैठी रही
नीति उस पर
ठूँठ की तरह
बताती रही अड़चनें,
अनुपालन की कठिनाइयाँ,
नीति की व्यथा-कथा !
उद्वेलित यह कुर्सी नई
नीति की व्यथा-कथा !
उद्वेलित यह कुर्सी नई
सोई नहीं रात भर,
कस गईं मुट्ठियाँ
उठ रहे मन में
क्रांति के ज्वार।
पुरानी कुर्सियाँ
हँस रही हैं इस नई कुर्सी पर।
क्रांति के ज्वार।
पुरानी कुर्सियाँ
हँस रही हैं इस नई कुर्सी पर।