एक नदी जो गुज़रती थी खेतों के बीच से बाँध बनने से सूखी रहने लगी हैं
सुना है बहुत पानी है बाँध के उस तरफ वहां से बिजली बनेगी राजधानी को जाएगी वहां से लौटते हुए सांसद, विधायक, मुखिया, सरपंच के घर होते हुए हमारे घर भी आएगी
तब तक या तो सूखे रहेंगे या ढह / डूब जायेंगे खेत, घर आँगन बाँध के आगे के लोगों के
जल जीवन है जल में समा कर मिट जाना है एक दिन लेकिन मिटने से पूर्व जल की सतह पर लिख जाना है सत्य सत्य का आग्रह करते हुए
यह जल वह नहीं जो आता है टोटियों के रास्ते या फिर बड़े बड़े जार में पहुंचाया जाता है घरों में हर सुबह या फिर सीलबंद बोतलों में चमचमाता रहता है दुकानों में यह जल वह है जो बहता है नदियों से होकर खेत खलिहान को सीचते हुए गुजरता है संस्कृतियाँ जिनके तट पर हैं पनपीं घोगल में लिखा गया है इतिहास कि जल को जीवन बनाये रखने के लिए जरुरी है सामूहिक संघर्ष