शुक्रवार, 10 जुलाई 2015

रास्ते सब बंद हैं

रास्ते सब 
बंद हैं 


हवाओं का दम
घुट रहा है 
घुट रही है 
रौशनी भी 

उम्मीदें सब 
पस्त हैं 
और 
हौसले 
हारे से बैठे हैं 


रुकी हुई सी 
है नदी 
पहाड़ मौन हैं 
खोखले से हो गए हैं 
वृक्षों की जड़े 

रास्ते सब 
बंद हैं 

6 टिप्‍पणियां:

  1. वर्तमान का सच यही है -- मन को छूती रचना
    उत्कृष्ट प्रस्तुति

    आग्रह है -- ख़ास-मुलाक़ात

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  2. हालात मुश्किल हैं अरुण जी .फिर भी उम्मीद का दामन नही छोड़ना चाहिये .

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  3. रास्ते सब
    बंद हैं

    इन्ही रास्तों को तो खोलना है. सुंदर.

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  4. इन बंद रास्तों से ही रोचनी फूटेगी ... आस की किरण होनी चाहिए बस ...

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  5. जो बंद नहीं हैं
    बंद किये जा
    रहे हैं
    रास्ते नहीं रहेंग़े
    कुछ अलग
    तरीके खोजे
    जा रहे हैं ।

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