चलो डाल देते हैं
हथियार
स्वीकार कर लेते हैं
हार
बच जायेंगे कुछ बच्चे
असमय मृत्यु से
कुछ स्त्रियां बच जाएँगी
बलत्कृत होने से
कुछ किले मंदिर बच जायेंगे
ध्वस्त होने से
संघर्ष विराम की घोषणा से
कितने खुश होते हैं वृक्ष
नदी और चिड़िया।
हथियार
स्वीकार कर लेते हैं
हार
बच जायेंगे कुछ बच्चे
असमय मृत्यु से
कुछ स्त्रियां बच जाएँगी
बलत्कृत होने से
कुछ किले मंदिर बच जायेंगे
ध्वस्त होने से
संघर्ष विराम की घोषणा से
कितने खुश होते हैं वृक्ष
नदी और चिड़िया।
संघर्ष विराम मानवीय पहलु से तो उत्कृष्ट बन पड़ी है। किन्तु ध्यान रहे हमारे अड़ोस-पड़ोस में चीन और पाकिस्तान जैसे शरीफ मुल्क हैं। जो आये दिन नए-नए कारनामों को अंजाम देते रहते हैं। ज़रा सोचियेगा?
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (26-09-2017) को रजाई ओढ़कर सोता, मगर ए सी चलाता है; चर्चामंच 2739 पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
हथियार डाल दें
जवाब देंहटाएंचलो डाल देते हैं
पहले देख तो लें
किस किस के पास हैं
हथियार
खुद के हथियार सोच लें
काफी है
चलो डाल देते हैं
बहुत खूब ।
खुश तो सभी होते हैं कुछ दर्द ले के कुछ दर्द दे के ...
जवाब देंहटाएंगहरी रचना हमेशा की तरह ...
खुद के हथियार सोच लें
जवाब देंहटाएंकाफी है
चलो डाल देते हैं
गहरी रचना बहुत खूब ।