यह समय
अनुकूल है
हत्या के लिए
अनुकूल है
हत्यारों के लिए भी .
हटा दो
जन्मजात बच्चो की नाक से लगी
आक्सीज़न की नली
यही नली लगा दो
किसानो के गले में
और उन्हें लटका दो
किसी पेड़ से या फिर छत से
या फिर किसी बिजली के खम्भे से
छेद दो गोलियों से
विरोधियों की कनपट्टी
ताकि उनकी आवाज़
न पहुचे सत्ताधीशों तक
न पहुचे आमजनों तक
किसी युवा को
थमा दो हथियार
दे दो निर्देश
किसी के भी धड से
अलग कर देने को गर्दन
जिनके विचार तुम्हारे विचार से
मेल नहीं खाते
यह समय
अनुकूल है
हत्या के लिए
अपने अपने तर्क
छुपा दो तकिये के नीचे .
अनुकूल है
हत्या के लिए
अनुकूल है
हत्यारों के लिए भी .
हटा दो
जन्मजात बच्चो की नाक से लगी
आक्सीज़न की नली
यही नली लगा दो
किसानो के गले में
और उन्हें लटका दो
किसी पेड़ से या फिर छत से
या फिर किसी बिजली के खम्भे से
छेद दो गोलियों से
विरोधियों की कनपट्टी
ताकि उनकी आवाज़
न पहुचे सत्ताधीशों तक
न पहुचे आमजनों तक
किसी युवा को
थमा दो हथियार
दे दो निर्देश
किसी के भी धड से
अलग कर देने को गर्दन
जिनके विचार तुम्हारे विचार से
मेल नहीं खाते
यह समय
अनुकूल है
हत्या के लिए
अपने अपने तर्क
छुपा दो तकिये के नीचे .
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (08-09-2017) को "सत्यमेव जयते" (चर्चा अंक 2721) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
तकिये के नीचे क्या बात है ।
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रभाव छोडती रचना
जवाब देंहटाएंब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस २०१७ “ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएं