चाँद तुम मुस्कुराना
पृथ्वी के होने तक
अभी लालटेन के नीचे
पढ़ रहे हैं
झूम झूम कर बच्चे
माँ लकड़ी वाली अंगीठी मेंसेंक रही है गोल रोटियां
तुम खाकर जाना
लगाने पृथ्वी का चक्कर
चाँद तुम मुस्कुराना
माँ और बच्चों के होने तक
अभी उड़ेंगे जहाज के जहाज
और बरसा जायेंगे
बम और बारूदचुपके से अँधेरे में
धरती के किसी कोने में
जब सो रही होगी चिड़िया
अपने बच्चों के साथ
तुम रोना , जरुर रोनारोना एक प्रतिक्रिया है प्रतिरोध का
चाँद तुम रोना
पृथ्वी पर बम बारूद के होने तक
मेरे पीछे
पड़े है कई हथियारबंद लोग
तरह तरह के लेकर हथियार
इन हाथियारों से टंगे हैं कई कई तरह के झंडे
कुछ भूगोल के झंडे
कुछ धर्म के झंडे
कुछ जाति के झंडे
वे नहीं रहने देंगे
आदमी को आदमी
चाँद तुम मत बँटना
लड़ना, पृथ्वी पर आदमी के होने तक .
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (24-11-2017) को "लगता है सरदी आ गयी" (चर्चा अंक-2797) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत सुन्दर....
जवाब देंहटाएंbahut bahut dhanyvaad sudha ji
हटाएंमहिला रचनाकारों का योगदान हिंदी ब्लॉगिंग जगत में कितना महत्वपूर्ण है ? यह आपको तय करना है ! आपके विचार इन सशक्त रचनाकारों के लिए उतना ही महत्व रखते हैं जितना देश के लिए लोकतंत्रात्मक प्रणाली। आप सब का हृदय से स्वागत है इन महिला रचनाकारों के सृजनात्मक मेले में। सोमवार २७ नवंबर २०१७ को ''पांच लिंकों का आनंद'' परिवार आपको आमंत्रित करता है। ................. http://halchalwith5links.blogspot.com आपके प्रतीक्षा में ! "एकलव्य"
जवाब देंहटाएंसुन्दर
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