बुधवार, 22 नवंबर 2017

चाँद तुम मुस्कुराना पृथ्वी के होने तक

चाँद तुम मुस्कुराना
पृथ्वी के होने तक

अभी लालटेन के नीचे
पढ़ रहे हैं
झूम झूम कर बच्चे
माँ लकड़ी वाली अंगीठी में
सेंक रही है गोल रोटियां
तुम खाकर जाना
लगाने पृथ्वी का चक्कर

चाँद तुम मुस्कुराना
माँ और बच्चों के होने तक

अभी उड़ेंगे जहाज के जहाज
और बरसा जायेंगे
बम और बारूद
चुपके से अँधेरे में
धरती के किसी कोने में
जब सो रही होगी चिड़िया
अपने बच्चों के साथ
तुम रोना , जरुर रोना
रोना एक प्रतिक्रिया है प्रतिरोध का

चाँद तुम रोना 
पृथ्वी पर बम बारूद के होने तक 

मेरे पीछे
पड़े है कई हथियारबंद लोग
तरह तरह के लेकर हथियार
इन हाथियारों से टंगे हैं 
कई कई तरह के झंडे 
कुछ भूगोल के झंडे 
कुछ धर्म के झंडे 
कुछ जाति के झंडे 
वे नहीं रहने देंगे
आदमी को आदमी

चाँद तुम मत बँटना
लड़ना,  पृथ्वी पर आदमी के होने तक .

5 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (24-11-2017) को "लगता है सरदी आ गयी" (चर्चा अंक-2797) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. महिला रचनाकारों का योगदान हिंदी ब्लॉगिंग जगत में कितना महत्वपूर्ण है ? यह आपको तय करना है ! आपके विचार इन सशक्त रचनाकारों के लिए उतना ही महत्व रखते हैं जितना देश के लिए लोकतंत्रात्मक प्रणाली। आप सब का हृदय से स्वागत है इन महिला रचनाकारों के सृजनात्मक मेले में। सोमवार २७ नवंबर २०१७ को ''पांच लिंकों का आनंद'' परिवार आपको आमंत्रित करता है। ................. http://halchalwith5links.blogspot.com आपके प्रतीक्षा में ! "एकलव्य"

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