कैसे हैं सरकार
आपको नमस्कार !
टूट गया तटबंध
डूब गए हैं गाँव
बह गए हैं घर
मेघ ही अब छाँव
भूख से मर रहे बच्चे
हम गा रहे मल्हार
कैसे हैं सरकार
आपको नमस्कार !
साल दर साल
कहानी है एक
किन्तु आपके पास
बहाने अनेक
जीवन की इस विपदा का
होगा कोई जिम्मेदार
कैसे हैं सरकार
आपको नमस्कार
सूखा भी हम भोगे
हम ही भोगे बाढ़
मौसम की मनमर्जी
सूखा रहे अषाढ़
दोनों ही स्थति में
सूना रहते खेत पथार
कैसे हैं सरकार
आपको नमस्कार !
अपनी स्थिति का
मेनिफेस्टो में नहीं स्थान
संसद में नहीं गूंजती
जनता का विलाप-गान
चुनाव तक हमसे नाता
फिर क्या हमारी दरकार
कैसे हैं सरकार
आपको नमस्कार !
वाह ... करार व्याग ...
जवाब देंहटाएंहमेशा की तरह लाजवाब ... निःशब्द करती ...
वोट दे आयेंगे फिर पाँच साल गीत कविता गायेंगे आईये सरकार । वाह बहुत खूब।
जवाब देंहटाएंगज़ब की रचना...शब्द और भाव दोनों अद्भुत...
जवाब देंहटाएंबहुत सटीक व्यंग। लाज़वाब...
जवाब देंहटाएंवाह बहुत खूब
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