गुमशुदा स्त्रियां
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ल्युसिल क्लिफ्टन
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मैं जानना चाहती हूँ उन स्त्रियों के नाम
जो पुरुषों की तरह भीड़ बनाकर चलना चाहती थीं
फैला कर अपनी बाहें ,
मैं उन पसीने से लथपथ स्त्रियों के नाम भी
चाहती हूँ जानना
जो अपनी चर्बी घटाने के लिए
बहाना चाहती थीं जिम में बेहिसाब पसीना।
सोचती हूँ हम स्त्रियां ठहाका लगाते हुए
एक दूसरे को क्या कहते
पीते हुए बीयर अपने दोस्तों , अपनी टीम
या अपनी बिगड़ैल बहनों के साथ ?
जो भी स्त्रियां आई मेरे जीवन में
किसी भी तरह, कभी न कभी
दुनिया में क्या है कहीं उनका नाम !
अनुवाद : अरुण चंद्र राय
सुन्दर
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