रिक्त
नाओमी शिहाब नी
मैं देखना नहीं चाहती
क्या बाहर निकल गया
नाओमी शिहाब नी
मैं देखना नहीं चाहती
क्या बाहर निकल गया
जब भोर में पाया कि
उलटी पड़ी है
सपनों से भरी नीली मिट्टी की सुराही।
सपनों से भरी नीली मिट्टी की सुराही।
क्या भविष्य रिस गया
बूँद बूँद!
अनुवाद : अरुण चंद्र राय
वाह
जवाब देंहटाएंधन्यवाद सर
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