शनिवार, 6 फ़रवरी 2010

आग को पकने दीजिये

ज्वालामुखी को सुलगने दीजिये
आग को पकने दीजिये

बर्फ पिघलेगी तो नदी लहराएगी जरुर
इसलिए भी कुछ बर्फ जमने दीजिये
आग को पकने दीजिये

हवा तेज होगी तो बीज उड़ा ले जाएगी
नए दौर के लिए आंधी आने दीजिये
आग को पकने दीजिये

फल लगेंगे तो चिड़िया आएँगी जरुर
यही सोच कर पेड़ों को बढ़ने दीजिये
आग को पकने दीजिये


डूबने लगेंगे जब वो तैरना सीख जायेंगे
इसी बहाने पानी को बढ़ने दीजिये
आग को पकने दीजिये



मुट्ठी भीचेंगे जब फाकाकशी लम्बी होगी
इसी इंतज़ार में रोटी छिनने दीजिये
आग को पकने दीजिये


दर्शन होते हैं उनके जो लहरों में उतरे नहीं कभी
ए़क बार उन्हें थपेड़ों से लड़ने दीजिये
आग को पकने दीजिये


सांप है तो काटेगा ए़क दिन जरुर
उनको आस्तीन में सांप पालने दीजिये
आग को पकने दीजिये

खाव्ब हैं जिनके आँखों में पूरे होंगे
सपनों को आँखों में सजने दीजिये
आग को पकने दीजिये






4 टिप्‍पणियां:

  1. अपने मनोभावों को सुन्दर शब्द दिए हैं बधाई।

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  2. खाव्ब हैं जिनके आँखों में पूरे होंगे
    सपनों को आँखों में सजने दीजिये
    sapne honge, tabhi to pure hone. ek ashavadi drishtikon ki jhalak dekhne ko milti hai. aapki ummide puri ho... yahi kamna.....sunder bhav

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  3. बर्फ पिघलेगी तो नदी लहराएगी जरुर
    इसलिए भी कुछ बर्फ जमने दीजिये
    आग को पकने दीजिये

    bahut khub kaha.

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