चाहता हूँ
ढेरो फूल अपने जन्मदिन पर
ताकि उनमे से कुछ दू उन्हें
जो शून्य से ३० डिग्री नीचे तक के तापमान पर
जागते हैं अपलक
सत्ता के बदलने से नहीं बदलता
सीमा का माहौल
कुछ फूल अर्पित करने हैं
उस बेनाम लड़की के लिए जो
कहते तो हैं कि आई थी बंगलादेश से
लौट कर जा ना सकी वापिस
बूढी माँ उसकी सीमा पार
कर रही है उसका इन्तजार
कुछ फूल बांटने हैं
शहर के लैंड फिल ज़ोन में
कचरे के बीच प्लास्टिक बीनते बच्चों के बीच
जिनकी आँखों में ख़ुशी
प्लाटिक के चटक किन्तु बेजान रंगों सी है
त्यौहारों और उत्सवों से
कुछ फर्क नहीं पड़ता कई जीवनों में
एक फूल देना है
हंसकर जो बेचता है फूल
नुक्कड़ पर देर रात तक
देते समय फूल निश्छल हंसी के साथ
शरीक होता है हर छोटे बड़े मौकों पर
और अंतिम फूल चाहिए
उसके लिए जो है
प्रथम पाठिका मेरी कविताओं की
प्रथम शिक्षिका जीवन की
प्रथम पाठशाला प्रेम की
लेकिन नहीं चाहता मैं
एक भी फूल टूटे अपनी डाली से
और मुरझा जाए मेरे लिए
सो जब तक संवेदना जीवित है मुझमे
नहीं देना मुझे कोई फूल कोई शुभकामना