इन दिनों
जब फूल झड़ रहे होते हैं
बगीचो से
पत्ते सूख रहे होते है
उपयुक्त समय होता है
कंपनियों के लिये
वार्षिक रिपोर्ट के प्रस्तुतिकरण का.
निदेशक मन्डल की रिपोर्ट में
होती है ज़ुगाली शब्दों की
भाषा पर जिनकी होती है
भरपूर पकड़
शब्द जिनकी मुट्ठियो में
कसमसाते हैं
वे तैयार करते हैं
निदेशको की रिपोर्ट
कवि नही होते वे
लेकिन एक अलग तरह का
स्वप्न रचते हैं
अधिक नीला दिखाते हैं
आसमान को
सूचकांक के उतार चढाव को
जयाज ठहराने के लिए
होता है उनमें अकाट्य तर्क.
पिछली पतझड़ से
इस पतझड के बीच के
आय व्यय का होता है
पूरा हिसाब
आंकड़ों के माध्यम से
इन छपे हुए आंकड़ों के मौन में
होता है तरह तरह के
जोड तोड और जुगाड का पूरा ब्यौरा
आखिर आंकड़े तो निर्जीव हैं
कौन पूछ्ता है इनकी मर्ज़ी
तुलन पत्र में
होती है तुलना
परिसंपत्तियों और
देयताओं की
लेकिन यह क्या (!)
बराबर कर दी जाती हैं
परिसंपत्तियां और देयताएं
अपना कर तरह तरह के हथकंडे
जो जितने बड़े हथकंडे का सुझाव देता है
होता है उतना ही सफल
उतनी ही भारी होती है उसकी प्रोफेशनल फीस
निदेशक मंडल का नाम
तस्वीर और उपलब्धियों सहित
दर्ज होता है
वार्षिक रिपोर्ट में
लेकिन अनुपस्थित रहते हैं वे नाम
जो गुम हो गए हैं
कंपनी के विभिन्न परियोजना स्थलों पर
उनके बच्चों की सिसकती तस्वीरें
वाटरमार्क में मिल जाएँगी
इन रिपोर्टों के पन्नो पर
बशर्ते ध्यान से जो देखा जाय
सभी स्टेकधारकों को
करने के लिए प्रभावित
वार्षिक रिपोर्ट में
होता है कुछ न कुछ
जैसे सरकार के लिए कर
शेयरधारकों के लिए लाभांश
विदेशी निवेशक के लिए बाज़ार में पहुँच
ग्राहकों के लिए ब्रांड मूल्य
घरेलू निवेशको के लिए
आने वाले साल के लिए योजनाओं का ब्यौरा
उन ब्यौरों के लिए आरक्षित निधि का जिक्र
और इस तमाम गुणा-भाग में
छूट जाते हैं
ठेके पर सोलह घंटे काम करने वाले
मेरे कामगार दोस्त.
आयातित आर्ट कार्ड कागज़ पर
सिंथेटिक स्याही से छपने और
प्लास्टिक से लैमिनेट होने वाली
वार्षिक रिपोर्ट के आवरण पृष्ठ पर
होता है बेहद आकर्षक नारा
पर्यावरण बचाने के लिए
साथ में होता है एक पेड़ का चित्र भी.
बड़ा विचित्र और
विचलित कर देने वाली होती है
वार्षिक रिपोर्ट.
bahut khub..............
जवाब देंहटाएंआयातित आर्ट कार्ड कागज़ पर
जवाब देंहटाएंसिंथेटिक स्याही से छपने और
प्लास्टिक से लैमिनेट होने वाली
वार्षिक रिपोर्ट के आवरण पृष्ठ पर
होता है बेहद आकर्षक नारा
पर्यावरण बचाने के लिए
साथ में होता है एक पेड़ का चित्र भी.
बड़ा विचित्र और
विचलित कर देने वाली होती है
वार्षिक रिपोर्ट. jane kitne ankahe ko darshati rachna
आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
जवाब देंहटाएंप्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (14-4-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com/
आकड़ों जैसे गिरते पत्ते, पतझड़ के।
जवाब देंहटाएंअरुण जी
जवाब देंहटाएंएक बार फिर आपकी कलम से बेहतरीन कविता निकली है……………आपकी तरह आकलन भी हर कोई नही कर पाता……………ज़िन्दगी का आकलन कर दिया आपने और रिपोर्ट ने ज़िन्दगी को हिला दिया……………बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
आंकड़ों की बाजीगरी होती है वार्षिक रिपोर्ट. तय सिर्फ इतना करना होता है कि सच्चाई का प्रतिशत कितना रक्खा जय. सुंदर कविता.
जवाब देंहटाएंअरुण जी,
जवाब देंहटाएंक्या कमाल करते है आप ,कारपोरेट जगत का कच्चा चिटठा खोल
आपकी इस सुन्दर पोस्ट ने, तो खोली कर रखदी है ढोल की पोल
अब यह नजर आ रहा है,सब कुछ होता है गोलम गोल
पिछली पतझड़ से इस पतझड़ तक,होती है जबरदस्त तोल मोल
patjhad se patjhad ke beech jhadte sapne hote hisab kitab ka sunder hisab....
जवाब देंहटाएंयथार्थ की बेहतरीन प्रस्तुति !
जवाब देंहटाएंआभार !
यह भी एक पतझड़ ही है जहाँ आंकड़े गिरते हैं पत्तों कि तरह..
जवाब देंहटाएंबहुत सटीक, भावपूर्ण अभिव्यक्ति.
और इस तमाम गुणा-भाग में
जवाब देंहटाएंछूट जाते हैं
ठेके पर सोलह घंटे काम करने वाले
मेरे कामगार दोस्त.
वार्षिक रिपोर्टों की यथार्थपरक सच तो यही है
बहुत ही सटीक और सामयिक कविता...बिलकुल अलग सी
जवाब देंहटाएंनिदेशक मंडल का नाम
जवाब देंहटाएंतस्वीर और उपलब्धियों सहित
दर्ज होता है
वार्षिक रिपोर्ट में
लेकिन अनुपस्थित रहते हैं वे नाम
जो गुम हो गए हैं
कंपनी के विभिन्न परियोजना स्थलों पर
उनके बच्चों की सिसकती तस्वीरें
वाटरमार्क में मिल जाएँगी
इन रिपोर्टों के पन्नो पर
बशर्ते ध्यान से जो देखा जाय
भाई अरुण जी आपकी कविताओं में हमेशा कंटेंट की ताजगी मिलती है इसलिए पढ़ने में आनंद आता है बधाई |
मैं तो कोई और ही वार्षिक रिपोर्ट समझ गया ... वही जो गोपनीय होता है और जिसके लिए सीनियर साल भर धमकी देते रहते हैं कि `I will endorse in your Anual Report'!
जवाब देंहटाएंपर यहां तो मामला कुछ और ही है।
कविता में अरुण नहीं कोई सेठ घुसा मिला।
बैक टू अरुण!
अरुण जी,
जवाब देंहटाएंबहुत ही सटीक....वार्षिक रिपोर्ट ....…बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
बहुत ही सटीक और सामयिक कविता|धन्यवाद|
जवाब देंहटाएंअधिक नीला दिखाते हैं
जवाब देंहटाएंआसमान को
सूचकांक के उतार चढाव को
जयाज ठहराने के लिए
होता है उनमें अकाट्य तर्क.
नए बिम्बों के सृजन में आपको महारत हासिल है ..इस नए बिम्ब के माध्यम से आपने कई सच्चाईयों को वयां कर दिया ...आपका आभार इस रचना के लिए
अरुण जी,
जवाब देंहटाएंशब्द नहीं है इस पोस्ट की तारीफ के लिए .....कुछ अलग....कुछ हटकर .....शानदार....प्रशंसनीय |
दो और दो मिलकर चार और पांच से आगे निकलकर,जितना मालिक चाहे उतना बनाकर दिखाता है यह लेखाकार जिसे वार्षिक रिपोर्ट कहते हैं.. ज़बरदस्त रचना है अरुण जी!!
जवाब देंहटाएंBahut achhi kavita hai arun sir... :)
जवाब देंहटाएंaisaa bhee hota hai.......
जवाब देंहटाएंsunder abhivykti.....
Such nice description of annual report.... front end and back end disclosures, nice words...
जवाब देंहटाएंअक्षरश: सत्य ...बहुत ही अनुपम प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंविषय का चयन नायाब है. (यहां भी निकल सकती है कविता!)
जवाब देंहटाएंअपने तो बेलंस शीट की कविता खींच दी .... क्या ग़ज़ब की प्रस्तुति है ...
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