शनिवार, 30 अप्रैल 2011

फॉर सेल


हुजूर
हमारे पहाड़ में है
कीमती पत्थर
जिससे चमकती हैं
आपकी कोठियां
आपके बंगले
आपके बड़े बड़े दफ्तर परिसर
जहाँ पहुँच नहीं सकते
हम कभी !

हमारी  धरती के
गर्भ में है
लोहा अभ्रक
एल्युमिनियम कोयला
जिस से चलती है
आपकी ज़िन्दगी की गाड़ी
बनते हैं इस्पात
और उनसे तरह तरह के उत्पाद
जो नहीं आते हमारे कोई काम
हमारी तो झोपडी तक नहीं बनी अभी !

नदी जो है हमारी
उसकी धाराओं में है
बिजली
वही बिजली जो
कभी नहीं जाती
आपकी राजधानी में
उसी से कूल  रहता है
आपका दफ्तर
आपका शयनकक्ष
आपका ड्राइंग रूम
और आपका मष्तिष्क भी

वही मस्तिष्क
जिससे बनाते हैं आप
तरह तरह की योजनायें
कैसे बेचा जाए पहाड़
कैसे गिरवी रख दी जाए
धरती की कोख
कैसे नदी को दे दिया जाये
लम्बी अवधि के पट्टे पर

हुजूर
आपने तो
लगा दिया है
हमारे माथे, हमारे कल पर
'फॉर सेल ' का पट्टा
शिलान्यास के पत्थर की तरह
और जब भी उखाड़ना चाहते हैं इसे
लाल हो उठती है धरती
और हुजूर
सुना  है , देखा है ,
यह लाल रंग
आपको  पसंद नहीं ! 

सोमवार, 25 अप्रैल 2011

माँ तुम्हारा चूल्हा


माँ
बंद होने वाला है
तुम्हारा चूल्हा
जिसमे झोंक कर
पेड़ की सूखी डालियाँ
पकाती हो तुम खाना
कहा जा रहा है
तुम्हारा चूल्हा नहीं है
पर्यावरण के अनुकूल

माँ
मुझे याद है
बीन लाती थी तुम
जंगलों, बगीचों से
गिरे हुए पत्ते
सूखी टहनियां 
जलावन के लिए
नहीं था तुम्हारे संस्कार में
तोडना हरी पत्तियाँ
जब भी टूटती थी
कोई हरी पत्ती
तुम्हे उसमे दिखता था
मेरा मुरझाया चेहरा
जबकि
कहा जा रहा है
तुम्हारे संस्कार नहीं हैं
पर्यावरण के अनुकूल
तुम्हारा चूल्हा
प्रदूषित कर रहा है
तीसरी दुनिया को

पहली और
दूसरी दुनिया के लोग
एक जुट हो रहे हैं
हो रहे हैं बड़े बड़े सम्मेलन
तुम्हारे चूल्हे पर
तुम्हारे चूल्हे के ईंधन पर
हो रहे हैं तरह तरह के शोध
मापे जा रहे हैं
कार्बन के निशान
तुम्हारे घर आँगन की
हवाओं में

वातानुकूलित कक्षों में
हो रही है जोरदार बहसे

कहा जा रहा है कि
तुम प्रदूषित कर रही हो
अपनी धरती
गर्म कर रही हो
विश्व को
और तुम्हारे चूल्हे की ओर से बोलने वाले
घिघियाते से प्रतीत होते हैं
प्रायोजित से  लग रहे  है
शोध अनुसन्धान
और तम्हारे चूल्हे के प्रतिनिधि भी

माँ !
मौन हैं सब
यह जानते हुए कि
जीवन भर जितने पत्ते और टहनियां जलाओगी तुम,
उतना कार्बन 
एक भवन के  केन्द्रीयकृत वातानुकूलित यन्त्र  से
उत्सर्जित होगा कुछ ही घंटे में

वे लोग छुपा रहे हैं
तुमसे तथ्य भी
नहीं बता रहे कि
तुम्हारा चूल्हा
कार्बन न्यूट्रल है
क्योंकि यदि तुम्हारे चूल्हे में
जलावन न भी जले फिर भी
कार्बन उत्सर्जन तो होगा ही
लकड़ियों से
बस उसकी गति होगी
थोड़ी कम
और तुम्हारा ईंधन तो
घरेलू है,
 उगाया जा सकता है
आयात करने की ज़रूरत नहीं

लेकिन बंद होना है
तुम्हारे चूल्हे को
तुम्हारे अपने ईंधन को
और जला दी जाएगी
तुम्हारी आत्मनिर्भरता
तुम्हारे चूल्हे के साथ ही .

माँ ! एक दिन
नहीं रहेगा तुम्हारा चूल्हा !

गुरुवार, 21 अप्रैल 2011

साठ मंजिला अपार्टमेन्ट


इन दिनों
एक साठ मंजिला अपार्टमेन्ट का विज्ञापन
पूरे  जोर शोर से चल रहा है
कह रही है
विज्ञापन एजेंसी
तीन सौ साठ डिग्री का मीडिया प्लान
तैयार किया गया है
जिस से नहीं रह सकता कोई अछूता
खोलो अखबार
या साप्ताहिक टेबलोआइड
मिलेगा आपको इस गगनचुम्बी  अपार्टमेन्ट का
खूबसूरत विज्ञापन
पूरे पृष्ठ पर छपा हुआ
तमाम खबरों पर पड़ता हुआ भारी
दमकते मॉल के ऊपर लगे होर्डिंग हों या
झुग्गियों के पास वाले  लैम्प पोस्ट के ऊपर लगा क्योस्क हो
आपकी नज़रों से टकराएगा
इसका विज्ञापन हर बार, बार बार
प्रिंट मीडिया से लेकर इलैक्ट्रोनिक मीडिया तक 
समाचार पत्रिकाओं से  बिजनेस जर्नल तक 
मोबाइल के इन-बाक्स से ई-मेल के इन-बाक्स तक
कुछ भी छूटा नहीं है
इस साठ मंजिला अपार्टमेन्ट के मीडिया प्लान से
प्रेस कांफ्रेंस में कहा गया है कि
इस अभूतपूर्व विज्ञापन अभियान के लिए 
इमोशनल रूट अपनाया गया है.

बनाये गए हैं
देश के बड़े बड़े सेलिब्रिटी
ब्रांड एम्बेसडर
कुछ खेल की दुनिया से हैं
तो कुछ फिल्मों से
कुछ राजनीतिक हस्तियाँ  हैं
इसके अप्रत्यक्ष प्रचारक
पर्यावरण अनापत्ति मिल चुकी है
बहुत पहले ही
नक़्शे  भी
रातो रात हो गए हैं पास
भूमिपूजन के दिन
होने वाला है
सितारों का जमावड़ा 
यह भी एक बड़ा आकर्षण है 
साठ मंजिला अपार्टमेन्ट का.

और इन सब के बीच
जोर शोर  से कहा जा रहा है कि
अस्सी प्रतिशत जगह
छोड़ी गई है 
खुली 
तीन ओर से सड़क है
हवाई अड्डा  बस एक घंटे पर है
रेलवे स्टेशन  जाने में
लगते हैं पैंतालिस मिनट
मेट्रो भी आने वाली  है
पार्किंग की सुविधा है
क्लब भी है एक्सक्लूसिव
स्विमिंग पूल के साथ
सुरक्षा के लिए हैं
पुख्ता  इंतजाम
मंदिर भी है
योग के लिए है विशेष व्यवस्था

इस डिज़िटल अपार्टमेन्ट में हैं
उच्च गति की  लिफ्ट
सामान ढोने के लिए
अलग सर्विस लिफ्ट
नौकरों की  आवाजाही के लिए
अलग प्रवेश द्वार
कमरे के भीतर भी जाने के लिए
परिवार के सदस्यों की हैं
अपनी अपनी सीमायें
जैसे शयन कक्ष में
बच्चों का प्रवेश वर्जित
इंटरनेट से रखी जा सकती है
फ़्लैट के चप्पे चप्पे पर नज़र

यही नहीं
इस साठ मंजिला आधुनिक अपार्टमेन्ट में
कवर्ड ऑटोमेटिक पार्किंग के साथ साथ है
परिवार के बुजुर्गों के लिए
पांच सितारा होटल के समकक्ष सुविधाओं वाला
हर फ़्लैट के लिए आवंटित आउट हाउस
जहाँ वे रह सकते हैं
पूरी सुविधा और सुरक्षा के साथ
विज्ञापन में देखे जा सकते हैं 
दादा और पोता खेलते साथ-साथ

आधुनिक जीवन शैली का
प्रतीक है यह
साठ मंजिला अपार्टमेन्ट
तीन सौ साठ डिग्री के मीडिया प्लान से
चमत्कृत  होता हुआ 

शनिवार, 16 अप्रैल 2011

चर्नोबिल के बाद एकाकी प्रिप्यात नदी

(१९८६ में अविभाजित रूस में विश्व इतिहास में सबसे दुखद नाभिकीय  दुर्घटना चर्नोबिल में हुई थी . जिसका प्रभाव यूरोप तक में पड़ा था. लाखों लोग आज भी इसके प्रभाव से कैंसर से पीड़ित हो रहे हैं. रूस का विभाजन नहीं हुआ होता तो शायद ही इस दुर्घटना के प्रभाव के बारे में दुनिया वाकिफ होती. चर्नोबिल नाभिकीय संयत्र प्रिप्यात नदी के तट पर बसा था जो आज रेडियोधर्मी प्रदूषण के कारण एकाकी है. इसी नदी के एकाकीपन को बांटते हुए यह कविता. ) 

सो रही थी
प्रिप्यात नदी
उस रात भी
क्योंकि युद्ध नहीं था
आसमान में कोई 
लहरें खामोश थी 
जैसे सो रहा हो 
कोई शिशु 
माँ की गोद में

पांच नदियों की
धारा से बनी
यह नदी
नील, अमेज़न या
गंगा नहीं थी
लेकिन लगभग ७१० किलोमीटर की
अपनी यात्रा में
कई आर्थिक पड़ावों  से ज़रूर गुजरी थी

इसके तट पर 
जो शहर बसा है 
नहीं है कोई इसका लम्बा इतिहास 
एक नया शहर 
नए सपनो के साथ 
पता नहीं था इसे कि 
इतिहास हो जायेगा यह शहर 
युवा होने से पहले ही 

उस बरस 
बहुत खुश थी नदी 
जब बस रहा था
चर्नोबिल
नए ऊर्जावान और उत्साही
मजदूरों, अभियंताओं और वैज्ञानिकों के दल
जब रख रहे थे
भविष्य की ऊर्जा  निधि  की नींव
उत्साही थी 
प्रिप्यात नदी भी .

प्रिप्यात के तट पर
रखी जा रही थी नींव
दुनिया के सबसे बड़े नाभिकीय  ऊर्जा   संयत्र की
खुश थी नदी
युवा मजदूरों की पत्नियों और बच्चों की चहल पहल से 
रूस के नौवें  नाभिकीय  शहर के रूप में
जन्म हुआ था इसका 
और प्यार से कहा जाता था 
'दी एटम सिटी'
सभी बहस और मुबाहिसो से परे 
नाभिकीय ऊर्जा को प्रतीक बनना था 
शांति का 
नयी ऊर्जा संस्कृति का 
इसी क्रम में नामकरण हुआ था 
इसकी गलियों का इसकी  सड़को का 
और
नाभिकीय ऊर्जा के शांतिपूर्ण प्रयोग के लिए 
विख्यात वैज्ञानिक के नाम पर
 'इगोर कर्च्तोव' 
नाम पड़ा इसकी  मुख्य सड़क का 
नदी बहुत खुश थी उस दिन 

फिर उस रात
चेर्नोबिल में
शांतिकाल का नाभिकीय बम
रिस पड़ा
रेडियोधर्मी आइसोटोप्स
फ़ैल गए पर्यावरण में
प्रिप्यात नदी में घुल गए
रेडियोन्युक्लैड्स
और प्रिप्यात हो गई
दुनिया की सबसे प्रदूषित नदी
जिसका जल हो गया विष 
अभिशप्त हो गयी नदी 

नहीं रही मछलियाँ 
इसकी तलहटी में 
खाली करा दिया गया 
शहर रातो रात
और बिना मछलियों के 
बिना नावों के 
तट पर खेलते बच्चों के बिना भी 
नितांत अकेली हो गई नदी 

चर्नोबिल बन गया
एक ही रात में
भूतों का शहर
जहाँ शांति के साथ
मर रहे थे हजारों लोग
तरह तरह के कैंसर से
नदी गुमसुम हो गई
चेर्नोबिल की इस दुर्घटना के बाद से
२६ अप्रैल १९८६ को. 

प्रिप्यात आज भी 
है मौजूद 
बिना वजूद के 
सभ्यता के विकास के इतिहास में 
उल्लेख नहीं है 
इस नदी का. 

बुधवार, 13 अप्रैल 2011

वार्षिक रिपोर्ट


इन दिनों
जब फूल झड़ रहे होते हैं
बगीचो से
पत्ते सूख रहे होते है
उपयुक्त समय होता है
  कंपनियों के लिये
वार्षिक रिपोर्ट के प्रस्तुतिकरण का.

निदेशक मन्डल की रिपोर्ट में
होती है ज़ुगाली शब्दों की
भाषा पर जिनकी होती है
भरपूर पकड़
शब्द जिनकी  मुट्ठियो में
कसमसाते  हैं
वे तैयार करते हैं
निदेशको की रिपोर्ट
कवि नही होते वे
लेकिन एक अलग तरह का
स्वप्न रचते हैं
 
अधिक नीला दिखाते हैं
आसमान को
सूचकांक के उतार चढाव को
जयाज ठहराने के लिए
होता है उनमें अकाट्य तर्क.

पिछली पतझड़  से
इस पतझड के बीच के
आय व्यय का होता है 
पूरा हिसाब
आंकड़ों के माध्यम से
इन छपे हुए आंकड़ों के मौन में
होता है तरह तरह के
जोड तोड और जुगाड का पूरा ब्यौरा
आखिर आंकड़े तो निर्जीव हैं
कौन पूछ्ता है इनकी मर्ज़ी

तुलन पत्र में
होती है तुलना
परिसंपत्तियों और
देयताओं की 
लेकिन यह क्या (!)
बराबर कर दी जाती हैं
परिसंपत्तियां और देयताएं
अपना कर तरह तरह के हथकंडे
जो जितने बड़े हथकंडे का सुझाव देता है
होता है उतना ही सफल
उतनी ही भारी होती है उसकी प्रोफेशनल फीस

निदेशक मंडल का नाम
तस्वीर और उपलब्धियों सहित
दर्ज होता है 
वार्षिक रिपोर्ट में
लेकिन अनुपस्थित रहते हैं वे नाम
जो गुम हो गए हैं
कंपनी के विभिन्न परियोजना स्थलों पर
उनके बच्चों की सिसकती तस्वीरें
वाटरमार्क में मिल जाएँगी
इन रिपोर्टों के पन्नो पर
बशर्ते ध्यान से जो देखा जाय

सभी स्टेकधारकों को
करने के लिए प्रभावित
वार्षिक रिपोर्ट में
होता है कुछ न कुछ
जैसे सरकार के लिए कर
शेयरधारकों के लिए लाभांश
विदेशी निवेशक के लिए बाज़ार में पहुँच
ग्राहकों के लिए ब्रांड मूल्य
घरेलू निवेशको के लिए
आने वाले साल के लिए योजनाओं का ब्यौरा 
उन ब्यौरों  के लिए आरक्षित निधि का जिक्र
और इस तमाम गुणा-भाग में
छूट जाते हैं
ठेके पर सोलह घंटे काम करने वाले
मेरे कामगार दोस्त.

आयातित आर्ट कार्ड कागज़ पर
सिंथेटिक स्याही से छपने और
प्लास्टिक से लैमिनेट होने वाली
वार्षिक रिपोर्ट के आवरण पृष्ठ पर
होता है बेहद आकर्षक नारा
पर्यावरण बचाने के लिए
साथ में होता है एक पेड़ का चित्र भी.

बड़ा विचित्र और
विचलित कर देने वाली होती  है

वार्षिक रिपोर्ट.

गुरुवार, 7 अप्रैल 2011

एक अमेरिकी सैनिक का प्रेम पत्र


प्रिय !
जब मैं फौज में 
हुआ था भर्ती 
तुम नहीं थी लेकिन 
तुम्हारे होने का एहसास था

एहसास था कि 
हम भी न्यूयार्क   सिटी के मध्य में 
लेंगे एक आलीशान घर 
जिसमे तुम होगी 
और होंगे मेरे बच्चे 
जिन्हें मैं पूरी आज़ादी दूंगा     
अपने बेडरूम में घुसने की 
वहां होंगे हम और तुम और हमारे कई बच्चे.

आज बहुत याद आ रही हो तुम 
और एअरपोर्ट पर विदा होते हुए 
किसी अनाम देश के लिए 
जहाँ मेरा युद्ध उनसे है 
जिन्हें मैं नहीं जानता 
जिनके बारे में मैंने नहीं सुना
जिन्होंने नहीं पहुंचाई कभी 
तुम्हे कोई तकलीफ 

जब भी मेरी गोली से
मरता है कोई अजनबी 
उसके शव पर विलाप करती स्त्रियाँ
मुझे तुम सी लगती हैं 
और बच्चे बिल्कुल ऐसे लगते हैं 
मानो वही है जिसे छोड़ आया था मैं 
तुम्हारे गर्भ में. 

यहाँ की धरती 
वैसी नहीं जैसे मेरा गाँव 
वेरमोंट शहर से कोई २०० मील उत्तर 
मैं अपने धरती की 
करना चाहता था सेवा 
अपने अमेरिकन साथियों के लिए 
दे देना चाहता था अपने प्राण 
मैं तुम्हारे साथ 
अपने शहर जिसमे एक चौथाई लोग
बुज़ुर्ग हैं और हैं अपने बच्चों से दूर 
करना चाहता था उनकी सेवा 
लेकिन त्रासद हो गया है मेरा जीवन 
कि सिखा दी गई है मुझे
गोली, बारूद, बम की भाषा
मैं हथियारों को चलाने और
उनकी मारक क्षमता को जांचने का यन्त्र हूँ. 

प्रिये 
तुम्हे बहुत प्रिय लगती थी  
मेरी पीतल सी आँखें 
कहती थी तुम 
इनमें  बसता है
झील के उस पार का इन्द्रधनुष
कहती थी तुम
एमिली डिकिन्सन की कवितायें हैं इनमे
अब इन आँखों में 
रेत बसती  है रेगिस्तान की 
कतई गीली  नहीं है जो 

विश्वास जैसे शब्दों को
निकाल दिया गया है
मेरे शब्दकोष से
जो शब्द भर दिए गए हैं
उनका कोई मानवीय तर्क है ही नहीं
कोई अर्थ नहीं है
बस याचना है आँखों में
चीत्कार है

प्रिये 
मुझे जिन्होंने झोंका है 
इस युद्ध में 
उन्होंने नहीं लड़ी कभी कोई लड़ाई 
उनकी यात्राओं से पूर्व होते हैं रास्ते खाली 
परिंदों के पर भी काट दिए जाते हैं 
एक बड़े लोकतंत्र का प्रतिनिधित्व करने वालों के 
रास्ते में नहीं आता कोई लोक
इन्होने देखे नहीं कभी कोई युद्ध का मैदान
नहीं जानते वे
किसी रेगिस्तान में प्यासे हताश को उड़ा देना गोली से
कितना मर्मान्तक है

थक गया हूँ मैं 
एक अनाम देश में
अपने जैसे मानव जाति के  विरुद्ध ही 
न ख़त्म होने वाले युद्ध से 
निरुद्देश्य मेरा जीवन 
कब समाप्त हो जाए तय नहीं यह 
लेकिन मुझे पसंद नहीं कि 
मेरे बाद दिया जाए तुम्हे मोटा मुआवजा
या करो तुम ह्रदय विदारक चीत्कार 
या शामिल हों मेरे दोस्त कैडिल मार्च में 
क्योंकि मैं यदि मरूँगा तो 
किसी के मारने के क्रम में ही
किसी आतंकवादी सा. 

मैं एक सैनिक से
बना दिया गया हूँ स्वचालित हथियार प्रिये !
नहीं रहा मैं पीतल की आँखों वाला 
तुम्हारा चार्मिंग डार्लिंग
वीकेंड थियेटर के किसी रोमैंटिक नाटक का पात्र सा.

शुक्रवार, 1 अप्रैल 2011

बेनगाज़ी

(लीबिया के नागरिको को समर्पित जिन पर यह युद्ध थोपा गया है.)


 









आधुनिक लीबिया का
सबसे खूबसूरत शहर
मैं बेनगाज़ी
आज एक युद्ध के मैदान में
गया हूँ बदल
प्राकृतिक संसाधनों पर
साधन सम्पन्नो की बलात का
प्रत्यक्ष शिकार हूँ मैं

वही बेनगाज़ी हूँ मैं
जिसका नाम एक पवित्र योद्धा के नाम पर
गया था रखा जो था तो योद्धा किन्तु
युद्ध उसके लिए
सत्ता का मकसद नहीं था
और १४५० में उस गाजी की मृत्यु के बाद
पड़ा था मेरा आधुनिक नाम

मेरी यात्रा
शुरू होती है एक प्राचीन यूनानी शहर  के रूप में
जिसे कई बार किया गया तबाह
बसाया भी गया कई बार
मेरे मूल निवासी  जो थे
वास्तव में आदिवासी, जनजाति
किया गया उन्हें विस्थापित
कभी पर्सिया लड़ाकुओं द्वारा
तो कभी रोमन विजेताओं ने
सुविधा के अनुसार बदले मेरे शासक
कभी अरेबियन आयें तो कभी इटालियन
और फिर विश्वयुद्ध में
'ओपरेशन कम्पास' के जरिये
जीता गया मुझे ऑस्ट्रेलियन की छठी  डिविजन के द्वारा

और प्रकृति ने छिपा रखा था
मेरे गर्भ में आधुनिक जीवन का
सबसे कीमती उपहार
जिसकी भारी कीमत चुका रहा हूँ मैं
आधुनिक लीबिया का आधार मैं
स्वयं एक त्रासदी बन गया हूँ

एक बार फिर
याद आ रहा है मुझे
हेस्पेराइड का वह प्रिय गीत
कहा जाता है
जो मेरी ही धरती पर गाया  गया था
परियों के द्वारा सृष्टि के प्रारंभ में

मैं बेनगाज़ी प्रार्थना रत हूँ
इस सृष्टि के अंत के लिए कि
फिर लौटेंगी वे परियां
किसी नए  रूप में 

बेनगाज़ी में .