०.
वसंत
तुम्हारे आने की
दस्तक से ही
मन में
उठ जाती है
एक हूक
पढने को जी करता है
वही चिट्ठी
जो बंद है
वर्षों से
बीच संदूक
१.
वसंत
देखो तो
खिले हुए फूलों को देख
कैसे ईर्ष्या से
दहक रहा है
उस श्यामली का अंग अंग
कहो तो
कोसती नहीं होगी
तुम्हे !
२.
वसंत
मेरे कहने से
तुम रुक तो
नहीं जाओगे
लेकिन
पल भर के लिए
रुक कर देख लेना
सरसों के पीले खेतो के मेड पर
धूप सेंकती उस अल्हड की आँखों में
जहाँ अब भी
झूल रहे हैं अमलताश के गुच्छे
देखा है उसे किसी ने
इस बरस
३
वसंत
तुम्हारा इठलाना
सर्वथा
उचित नहीं है
क्योंकि
इस बरस
नहीं लौटेगा
उसका परदेसी
कोरी रहेगी
उसकी साड़ी
तुम जानते नहीं शायद
बेरंग होली की प्रतीक्षा
होती है कितनी
पीड़ादायक
बसंत में खिले हुए अनेक पुष्पों की तरह ...विविध रंग लिए बसंत से वार्तालाप ....
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना .....!!
वसंत
जवाब देंहटाएंमेरे कहने से
तुम रुक तो
नहीं जाओगे
लेकिन
पल भर के लिए
रुक कर देख लेना
सरसों के पीले खेतो के मेड पर
धूप सेंकती उस अल्हड की आँखों में
जहाँ अब भी
झूल रहे हैं अमलताश के गुच्छे
देखा है उसे किसी ने
इस बरस... basanti khyaal door door tak lahra rahe hain
एक से बढ़ कर एक क्षणिका ...मन की गहराई में उतरती हुई ..
हटाएंएक से बढ़ कर एक क्षणिका ...मन की गहराई में उतरती हुई ..
हटाएंतुम जानते नहीं शायद
जवाब देंहटाएंबेरंग होली की प्रतीक्षा
होती है कितनी
पीड़ादायक
गहन भाव लिए ...बेहतरीन ।
अरूण जी,बहुत बेहतरीन रचनायें हैं बधाई स्वीकारें।
जवाब देंहटाएंSabhee ekse badhke ek...teesree me bahut peeda hai!
हटाएंउफ़ ………वसंतागमन ने तो पीडा का दर्शन करा दिया………एक फ़ूल मोहब्बत का भी तो खिलाना चाहिये जिसमे पीडा का समावेश हो सके।
जवाब देंहटाएंवन्दना ने आपकी पोस्ट " आने वाले वसंत से कुछ बातें " पर एक टिप्पणी छोड़ी है:
जवाब देंहटाएंउफ़ ………वसंतागमन ने तो पीडा का दर्शन करा दिया………एक फ़ूल मोहब्बत का भी तो खिलाना चाहिये जिसमे पीडा का समावेश हो सके।
वसंत
जवाब देंहटाएंतुम्हारा इठलाना...ah !..Lovely !
बहुत सुन्दर अरुण जी......आखिरी वाला सबसे बढ़िया|
जवाब देंहटाएंपल भर के लिए
जवाब देंहटाएंरुक कर देख लेना
सरसों के पीले खेतो के मेड पर
धूप सेंकती उस अल्हड की आँखों में
जहाँ अब भी
झूल रहे हैं अमलताश के गुच्छे
देखा है उसे किसी ने
इस बरस
क्या बात है....इन रचनाओं को पढ़कर आभास हो रहा है...सचमुच वसंत ने दस्तक दे दी है...
बहुत ही अच्छी कविताएँ |
जवाब देंहटाएंनहीं लौटेगा
जवाब देंहटाएंउसका परदेसी
कोरी रहेगी
उसकी साड़ी
तुम जानते नहीं शायद
बेरंग होली की प्रतीक्षा
होती है कितनी
पीड़ादायक
....निशब्द कर दिया...सभी प्रस्तुतियाँ एक से बढ़ कर एक..
बहुत ही बढ़िया सर!
जवाब देंहटाएंसादर
Basant ya Vasant
जवाब देंहटाएंBa ho ya va
Hai to sang SANT ka
Sant jiski sadhuta ka
Koi ant nahin hota
Jis tarah vasant ka sondarya
Kam nahin hota
Usi tarah kavita ka
Achchhi ho to
Man par bheetar tak hota hai.
'Asar' likhna rah gaya
जवाब देंहटाएंKavita ka asar.
बहुत सुंदर!
जवाब देंहटाएंBehtareen rachanayen hain!
हटाएंबसंत की प्रतीक्षा हमको भी है..बड़ी सुन्दर कविता..
जवाब देंहटाएंबसंत के स्वागत में सुंदर कवितायेँ पेश की हैं.
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएँ.
aapne to basant ko pahle se hi khila diya ...haardik shubhkamnaae ..
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर लिखा आप ने आने वाले वसंत पर ,कई पंक्तियाँ दिल को छू गयी ,pahli बार आप का ब्लॉग देखा ,आप को फोलो के रही हूँ,उम्मीद है आप की रचनाये फिर खीच लाएगी यहाँ .......
जवाब देंहटाएंवाह!!!!!!!!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर...सभी सुन्दर...बसन्ती रंग लिए..
बसंत से वार्तालाप/बहुत सुंदर रचना .
जवाब देंहटाएंबहुत भावपूर्ण खूबसूरत अभिव्यक्ति..
जवाब देंहटाएंबहुत ही ...अद्भुत चित्रण वसंत का ...और सच में आज पता चला ...स्त्रियों को बसंत से इर्ष्य क्यों होती है ...मेरे दुसरे ब्लॉग पर भी आयें ..
जवाब देंहटाएंbabanpandey.blogspot.com
बहुत खुबसूरत रचना अभिवयक्ति.........
जवाब देंहटाएंबसंत पर लिखी हर रचना बेमिसाल ..अंतिम मार्मिक है .
जवाब देंहटाएंआपकी किसी पोस्ट की चर्चा है नयी पुरानी हलचल पर कल शनिवार 21/1/2012 को। कृपया पधारें और अपने अनमोल विचार ज़रूर दें।
जवाब देंहटाएंएक से बढ़कर एक रचनाएं ....आभार
जवाब देंहटाएंBahut khoob Arun ji ...
जवाब देंहटाएंTeesri waali to seedhe dil mein utar gayi ... bahut hi samvedansheel ...
बसंत की प्रतीक्षा हमको बसंत से वार्तालाप खुबसूरत बेमिसाल अभिवयक्ति.
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया!!.......बसंती बयार को बुलाती क्षणिकाएं !!
जवाब देंहटाएं"वसंत
जवाब देंहटाएंमेरे कहने से
तुम रुक तो
नहीं जाओगे
लेकिन
पल भर के लिए
रुक कर देख लेना
सरसों के पीले खेतो के मेड पर
धूप सेंकती उस अल्हड की आँखों में
जहाँ अब भी
झूल रहे हैं अमलताश के गुच्छे
देखा है उसे किसी ने
इस बरस..."
इन पंक्तियों का कोई सानी नहीं है।
तुम जानते नहीं शायद
जवाब देंहटाएंबेरंग होली की प्रतीक्षा
होती है कितनी
पीड़ादायक .....
......
कुछ लोगों के लिए बसंत बसच में बहुत कष्टदायक होता है भाई जी जरा देखें तो ..
http://anandkdwivedi.blogspot.in/2011/03/blog-post_21.html