१.
नीतियां
योजनायें
कागज़ी सलाखों में बंद
६२ वर्ष का हुआ गणतंत्र
२.
चुनाव
संसद
सब महज अनुबंध
६२ वर्ष का हुआ गणतंत्र
३
पानी बिजली
शिक्षा का
अब भी हो ही रहा है प्रबंध
६२ वर्ष का हुआ गणतंत्र
४.
जाति धर्म
संप्रदाय में
उलझा है अपना लोकतंत्र
६२ वर्ष का हुआ गणतंत्र
५.
बुधना सुखिया
हरिया महुआ
सब के सब परतंत्र
६२ वर्ष का हुआ गणतंत्र
६.
मस्जिद, मंदिर, गिरजाघर को
बहुत मिले अनुदान
सबको छत अब भी दिवा स्वप्न
६२ वर्ष का हुआ गणतंत्र
७.
खाली पेट तब भी था
अब भी खाली पेट
दूर की कौड़ी है सबको अन्न
६२ वर्ष का हुआ गणतंत्र
८
दिल्ली से दिखता है
सब कुछ हरा भरा
सूखे खेत मालिक को क्या करना अनशन
६२ वर्ष का हुआ गणतंत्र
आपके इस उत्कृष्ठ लेखन का आभार ...
जवाब देंहटाएं।। गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं ।।
नीतियां
जवाब देंहटाएंयोजनायें
कागज़ी सलाखों में बंद
६२ वर्ष का हुआ गणतंत्र ... हर क्षणिकाओं में सत्य की करारी चोट
अरुण जी! आपने तो इन सबको बहुत करीब से देखा है.. इस पार से भी और उस पार से भी.. इन क्षणिकाओं में जनता का, जनता के लिए और जनता के द्वारा जो भी किया जा रहा है, दिखता है!!
जवाब देंहटाएंभाई अरुण जी बहुत ही उम्दा और व्यवस्था पर चोट करती क्षणिकाएँ |
जवाब देंहटाएंBehtareen kshanikayen!
हटाएंGantantr Diwas kee anek shubh kamnayen!
हर क्षणिका सत्य को आईना दिखा रही है………॥
जवाब देंहटाएंसत्य लिखा है आज का सत्य ... कडुवी सच्चाई देश की ...
जवाब देंहटाएंएक और कड़ी मेरी तरफ से भी ...
जातिवाद
धार्मिक उन्माद
सत्ता में रहने का ये मन्त्र
६२ वर्ष का हुवा गणतंत्र ...
बेहतर हैं।
जवाब देंहटाएंअरुण जी आज की सचाई को हूबहू लिख दिया ...
जवाब देंहटाएंइस कड़ी को बड़ा राहा हूँ ...
जाती वाद
धार्मिक उन्माद
भ्रष्ट तंत्र को जीतने का मन्त्र
६२ वर्ष का हुवा गणतंत्र ...
sahi kataksh liye behtreen prastuti.
जवाब देंहटाएंज़बरदस्त कटाक्ष......सुन्दर हैं क्षणिकाएं |
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत बहुत सटीक और मारक...
जवाब देंहटाएंसोचना पड़ेगा की मुट्ठियाँ भींच सड़क पर कब निकलना है बंधक पड़े इस गणतंत्र को स्वतंत्र कर सही अर्थ देने के लिए...
बहुत ही सटीक।
जवाब देंहटाएंसादर
गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभ कामनाएँ।
जवाब देंहटाएं----------------------------
कल 26/01/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
यथार्थ से रूबरू करवाती सुन्दर क्षणिकाएं
जवाब देंहटाएंनीतियां
जवाब देंहटाएंयोजनायें
कागज़ी सलाखों में बंद
६२ वर्ष का हुआ गणतंत्र
आगे भी ऐसे ही बढता जायेगा.
सच्ची क्षणिकाएं.
वास्तविकता दर्शाती कविताएं।
जवाब देंहटाएंकडवा सच।
अरुण जी हर क्षणिका एक सवाल पूछती है...जवाब कौन देगा...लाजवाब क्षणिकाएं...
जवाब देंहटाएंनीरज
अरुण जी, बहुत सामयिक रचनायें हैं, सभी एक से बढ़कर एक। जब तक हर सिर पर छत और हर पेट में अन्न न हो, गणतंत्र की बधाईयां तब तक अधूरी है
जवाब देंहटाएंक्षण में गहरी चोट करने वाली मारक क्षणिकाएं।
जवाब देंहटाएंआपकी इस रचना के हर पद में मारक क्षमता भरपूर है। कुछ शे’र समर्पित हैं इनको ...
जवाब देंहटाएंजितनी बँटनी थी बँट गई ये जमीं
अब तो बस आसमान बाकी है।
* * *
सर क़लम होंगे कल यहाँ उनके,
जिनके मुँह में जुबान बाकी है।
सटीक क्षणिकाएं
जवाब देंहटाएंवाह!
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचना।
चिंतन का विषय।
गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं....
जय हिंद... वंदे मातरम्।
सच्चाई बयां करती बेहतरीन क्षणिकाएं
जवाब देंहटाएंजबरदस्त क्षणिकाएँ, वंदे मातरम
जवाब देंहटाएंव्यवस्था पर करारा तमाचा हैं आपकी क्षणिकायें ! प्रत्येक क्षणिका के दर्पण में सत्य अपनी सम्पूर्ण कुरूपता के साथ विद्यमान है ! फिर भी हम भारतीय हैं और इस बदहाली के आलम में भी गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें !
हटाएंक्षणिकाएं नहीं ये दस्तावेजी सबूत हैं हमारे उत्थान-पतन के !
जवाब देंहटाएंvaah bahut badhiya ...khuli aankhon se dekhna hoga ...
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर भावपूर्ण प्रस्तुति|
जवाब देंहटाएंगणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें|
सदैव चलती रहने वाली जद्दोजहद.
जवाब देंहटाएंगणतंत्र को स्वतंत्र कर सही अर्थ देती हर क्षणिका
जवाब देंहटाएंगणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें
bahut hi satik rachna.
जवाब देंहटाएंshubhkamnayen
काश हमारे चुने हुए हुक्मरानों को ये सच्चाई नज़र आ जाती.....
जवाब देंहटाएंइलाही वो भी दिन होगा जब अपना राज देखेंगे
जब अपनी ही जमीं होगी और अपना आसमां होगा.
सरल सहज भाषा में गहरा अपराधबोध..
जवाब देंहटाएंसुंदर अभिव्यक्ति अच्छी क्षणिकाएं..
जवाब देंहटाएंNEW POST --26 जनवरी आया है....
बढते कदम मिलें
जवाब देंहटाएंआओ मिलकर चलें
कर दें मनवा स्वतंत्र
६२ का हुआ गणतंत्र!
यही देश की वर्तमान तस्वीर है।
जवाब देंहटाएंइन क्षणिकाओं के बीच छिपे बड़े सच के उस पार देखने का प्रयत्न कर रहा हूं.....
जवाब देंहटाएंचांद पर पहुंच रहा हूं..
63 साल में गया गणतंत्र....
सच का साथ दे रहा हूं...
63 साल का हुआ है गणतंत्र....
अब भी लड़ लेता हूं
कभी अन्ना संग तो कभी अकेला
63 साल का क्योंकि है गणतंत्र....
उपर कई सच क्षणिकाओं में कैद है
क्योंकि 63 का है बसंत
कुछ सच का हौसला मुझमें अब भी हैं
क्योंकि 63 का है गणतंत्र
सटीक क्षणिकाएं.
जवाब देंहटाएंमस्जिद, मंदिर, गिरजाघर को
जवाब देंहटाएंबहुत मिले अनुदान
सबको छत अब भी दिवा स्वप्न
६२ वर्ष का हुआ गणतंत्र
.......
हर क्षणिका लाजबाब भाई जी !