सार्थक अभिव्यक्ति।
आपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल शुक्रवार (05.09.2014) को "शिक्षक दिवस" (चर्चा अंक-1727)" पर लिंक की गयी है, कृपया पधारें और अपने विचारों से अवगत करायें, चर्चा मंच पर आपका स्वागत है, धन्यबाद।
itani hatasha thik nahi
हताशा भी हताश है आज ।बहुत खूब ।
निराशा की इस पराकाष्ठा को आपने ,कम शब्दों में ही पूरा विस्तार दे दिया है । ।
वाह
छोटी--परंतु पूर्ण
हताशा, निराशा नही चाहिये ऐसी वाली आशा।एक बार कोशिश करिये मुस्कुराने की।
बहुत भावपूर्ण ... ... मन की गहराई तक उतर जाने वाली
अंत या एक नयी शुरुआत की जंग ...
सार्थक अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंआपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल शुक्रवार (05.09.2014) को "शिक्षक दिवस" (चर्चा अंक-1727)" पर लिंक की गयी है, कृपया पधारें और अपने विचारों से अवगत करायें, चर्चा मंच पर आपका स्वागत है, धन्यबाद।
जवाब देंहटाएंitani hatasha thik nahi
जवाब देंहटाएंहताशा भी हताश है आज ।
जवाब देंहटाएंबहुत खूब ।
निराशा की इस पराकाष्ठा को आपने ,कम शब्दों में ही पूरा विस्तार दे दिया है । ।
जवाब देंहटाएंवाह
जवाब देंहटाएंछोटी--परंतु पूर्ण
जवाब देंहटाएंहताशा, निराशा नही चाहिये ऐसी वाली आशा।
जवाब देंहटाएंएक बार कोशिश करिये मुस्कुराने की।
बहुत भावपूर्ण ... ... मन की गहराई तक उतर जाने वाली
जवाब देंहटाएंअंत या एक नयी शुरुआत की जंग ...
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