शनिवार, 6 सितंबर 2014

सूई-धागा




वह 
अब नहीं डाल पाती है 
सूई में धागा 
आँखे कमजोर हो गई हैं 
उम्र के साथ 
दूर तक नहीं देख पाती 
पास का भी 
नहीं दीखता उसे स्पष्ट

उधड़े रिश्तो को 
कैसे सिले वह ! 




7 टिप्‍पणियां:

  1. सच्चाई को वयां करती हुई रचना , बधाई

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  2. दूर होते रिश्ते कब सिले जाते हैं , जब नजर भी साथ न देती हो।
    कभी लगता है कि नजर कमजोर होना भी ठीक है। भ्रम तो बना है !

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  3. उम्र जो हो गयी है .. पर वो अभी भी सिल सकती है रिश्ते बस रिश्तों को सिलना नहीं है ... उश्रन्खल जो हो गए हैं ...

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  4. समय इतना बदल गया है कि अब धुँधली आँखों के चलते कुछ उलट-सीदे टाँके लगा भी ले तो उधड़े रिश्ते टिकनेवाले नहीं !

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