वाह ।
सच्चाई को वयां करती हुई रचना , बधाई
दूर होते रिश्ते कब सिले जाते हैं , जब नजर भी साथ न देती हो। कभी लगता है कि नजर कमजोर होना भी ठीक है। भ्रम तो बना है !
सटीक अभिव्यक्ति।
umda..!!!
उम्र जो हो गयी है .. पर वो अभी भी सिल सकती है रिश्ते बस रिश्तों को सिलना नहीं है ... उश्रन्खल जो हो गए हैं ...
समय इतना बदल गया है कि अब धुँधली आँखों के चलते कुछ उलट-सीदे टाँके लगा भी ले तो उधड़े रिश्ते टिकनेवाले नहीं !
वाह ।
जवाब देंहटाएंसच्चाई को वयां करती हुई रचना , बधाई
जवाब देंहटाएंदूर होते रिश्ते कब सिले जाते हैं , जब नजर भी साथ न देती हो।
जवाब देंहटाएंकभी लगता है कि नजर कमजोर होना भी ठीक है। भ्रम तो बना है !
सटीक अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंumda..!!!
जवाब देंहटाएंउम्र जो हो गयी है .. पर वो अभी भी सिल सकती है रिश्ते बस रिश्तों को सिलना नहीं है ... उश्रन्खल जो हो गए हैं ...
जवाब देंहटाएंसमय इतना बदल गया है कि अब धुँधली आँखों के चलते कुछ उलट-सीदे टाँके लगा भी ले तो उधड़े रिश्ते टिकनेवाले नहीं !
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