1.
यह कहना गलत है कि
नदियाँ तटों को तोड़ कर
चली आ रही हैं
घरों में , खेतों में, खलिहानों में
गाँव , देहात , शहरों में
वे तलाश रही हैं
अपना खोया हुआ अस्तित्व
जिसके अतिक्रमण में
संलग्न हम सब .
2.
नदियाँ
गर्भवती नहीं होती
उसके पेट में
नहीं पलता है कोई भ्रूण
वह नहीं जनती
कोई मकरध्वज
उसके पेट में बसता है
मानव की अपरिमित तृष्णा
3
क्रंदन करती है नदी
अनुरोध करती हैं
तोड़ दो तमाम तटबंध
खाली कर कर दो उसका मंच
वह नृत्य करेगी मिट्टियों के बीच
छोड़ जाएगी अतं में
उर्वर धरा
वह लौट आएगी फिर
अगले वर्ष
4
नदी को नहीं मालूम कि
उसके पेट में सो रहा है
कोई चार दिन का दुधमुंहा बच्चा
या फिर जगा हुआ खांसता
कोई लाचार बूढा
या स्वप्नशील कोई नव विवाहिता युगल
नदी के लिए अतिक्रमण आक्रमण ही है .
यह कहना गलत है कि
नदियाँ तटों को तोड़ कर
चली आ रही हैं
घरों में , खेतों में, खलिहानों में
गाँव , देहात , शहरों में
वे तलाश रही हैं
अपना खोया हुआ अस्तित्व
जिसके अतिक्रमण में
संलग्न हम सब .
2.
नदियाँ
गर्भवती नहीं होती
उसके पेट में
नहीं पलता है कोई भ्रूण
वह नहीं जनती
कोई मकरध्वज
उसके पेट में बसता है
मानव की अपरिमित तृष्णा
3
क्रंदन करती है नदी
अनुरोध करती हैं
तोड़ दो तमाम तटबंध
खाली कर कर दो उसका मंच
वह नृत्य करेगी मिट्टियों के बीच
छोड़ जाएगी अतं में
उर्वर धरा
वह लौट आएगी फिर
अगले वर्ष
4
नदी को नहीं मालूम कि
उसके पेट में सो रहा है
कोई चार दिन का दुधमुंहा बच्चा
या फिर जगा हुआ खांसता
कोई लाचार बूढा
या स्वप्नशील कोई नव विवाहिता युगल
नदी के लिए अतिक्रमण आक्रमण ही है .
हमेशा की तरह धारदार।
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल गुरूवार (24-08-2017) को "नमन तुम्हें हे सिद्धि विनायक" (चर्चा अंक 2706) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'