बाँध दिए गये हैं
उसके दोनो पैर
और कहा जा रहा है उसे
दौड़ो , तेज़ दौड़ो
छू लो मंजिल
उसके दोनों हाथों को
पीठ की तरफ मोड़ कर
बाँध दिया गया है
और कहा जा रहा है
लिखो क्रांति,
बदल दो देश की तस्वीर
उसकी आँखों पर
चढ़ा दिया गया है
नीला पीला चश्मा
और कहा जा रहा है कि
फर्क करो रंगों में
फर्क करो सच झूठ में
वह हुंकार भर रहा है .
उसके दोनो पैर
और कहा जा रहा है उसे
दौड़ो , तेज़ दौड़ो
छू लो मंजिल
उसके दोनों हाथों को
पीठ की तरफ मोड़ कर
बाँध दिया गया है
और कहा जा रहा है
लिखो क्रांति,
बदल दो देश की तस्वीर
उसकी आँखों पर
चढ़ा दिया गया है
नीला पीला चश्मा
और कहा जा रहा है कि
फर्क करो रंगों में
फर्क करो सच झूठ में
वह हुंकार भर रहा है .
बहुत बढ़िया।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर !
जवाब देंहटाएंसोचने को विवश करती ,आभार
"एकलव्य"
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (26-08-2017) को "क्रोध को दुश्मन मत बनाओ" (चर्चा अंक 2708) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
गणेश चतुर्थी की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'