मंगलवार, 12 सितंबर 2017

मद्धम आंच

मद्धम आंच पर
पकती हैं
नरम रोटियां

मद्धम आंच पर ही
पकता है
कुम्हार का दिया और घड़ा
दिया जो आग से जलकर
रौशनी देता है
घड़ा जो पानी को सहेजता है
अपने भीतर

मद्धम आंच में
नहीं होता है
अहंकार
अट्टहास

मद्धम आंच पर
सिझता है प्रेम
धीरे धीरे सहजता से . 

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