सोमवार, 6 नवंबर 2017

दीवार पर टंगी एक तस्वीर का उतर जाना

दीवार पर टंगी
एक तस्वीर का उतर जाना
केवल एक तस्वीर का उतर जाना नहीं होता
न ही यह कैलेण्डर पर महीने के बीत जाने के बाद
नए महीने के पन्ने का आना होता है
यह साल के अंत में पुराने कैलेण्डर का विस्थापन
और नए कैलेण्डर का स्थापन्न होना भी नहीं होता है


कई बार सीलन, नमी की वजह से
सालों साल कमजोर होती रहती हैं दीवारें
ख़त्म होने लगता है दीवार का धैर्य
कील पर पकड़ ढीली हो जाने से
 बोझ नहीं उठा सकने की स्थिति में
अंतत एक दिन तस्वीर गिर जाती है
दीवार से
तस्वीरों को दीवार पर
टंगे रहने के लिए जरुरी है
दीवार कमजोर न पड़े अविश्वास के सीलन से
कील का धैर्य कम न हो

तस्वीर का गिरना
केवल तस्वीर का गिरना नहीं होता
इससे पैदा होता है दीवार की छाती में शून्य
शून्यता है एक खतरनाक संकेत
जो बड़ा होने से बन सकता है ब्लैक होल
लील सकता है जीवन।  

3 टिप्‍पणियां:

  1. bahut sundar rachna

    http://www.surbhisavita.com/

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  2. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (08-11-2017) को चढ़े बदन पर जब मदन, बुद्धि भ्रष्ट हो जाय ; चर्चामंच 2782 पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'


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