गुरुवार, 9 नवंबर 2017

अँधेरा का निर्जन द्वीप

जब दुनिया 
रहने के लिए असुरक्षित हो 
मैंने बना लिया है 
अँधेरे का एक निर्जन द्वीप 

इस द्वीप पर नहीं है 
कोई रौशनी 
कोई द्वार 
बस है सन्नाटा 
सन्नाटे से बजता है 
अनसुना संगीत 

3 टिप्‍पणियां:

  1. ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, जोकर “ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  2. सन्नाटे की दुनिया भी गूँज उठेगी एक दिन ... धडकन तो बजती है ...
    बहुत खूब लिखा है अरुण जी ...

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