मंगलवार, 21 जनवरी 2025

पानी सा होना

पानी सा होना 

कहना तो आसान है 

लेकिन कितने ही लोग हैं 

जो हो सकते हैं पानी सा !


पानी का नहीं होता है 

अपना कोई रंग 

वह रंग जाता है 

जो ही रंग मिला दे उसमें 

कुछ लोग पानी सा ही होते हैं 

रंग जाते हैं किसी के ही रंग में 

भुला कर अपना अस्तित्व । 


पानी का कहाँ होता है 

अपना कोई आकार 

कुछ लोग हमारे बीच होते हैं 

पानी से 

जो किसी के भी अनुसार, किसी के विचार में 

जाते हैं ढल जैसे ढलता है पानी ! 


सुना है गंध या स्वाद भी 

नहीं होता है पानी का 

लेकिन वह किसी भी गंध और स्वाद को 

बना लेता है अपना 

हमारे बीच कई बार पाये जाते हैं 

ऐसे लोग भी जो किसी भी गंध और स्वाद को 

अपना लेते हैं छोड़ कर अहंकार 


पानी जैसा जो हो जाती दुनियाँ 

पानी जैसे जो हो जाते लोग 

दुनिया से खत्म हो जाती 

तृष्णा, घृणा, द्वेष, क्लेश, ईर्ष्या, अहंकार  ! 



6 टिप्‍पणियां:

  1. 'पानी बिन सब सून'
    बेहतरीन अभिव्यक्ति सर।
    सादर।
    -----
    जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार २४ जनवरी २०२५ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

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  2. एक सकारात्मक संदेश देती रचना
    एक उम्मीद -
    पानी जैसे जो हो जाते लोग
    दुनिया से खत्म हो जाती
    तृष्णा, घृणा, द्वेष, क्लेश, ईर्ष्या, अहंकार !
    लेकिन मानव ने तो पानी को भी प्रदूषित कर दिया है.

    जवाब देंहटाएं
  3. एक सकारात्मक संदेश देती रचना
    एक उम्मीद -
    पानी जैसे जो हो जाते लोग
    दुनिया से खत्म हो जाती
    तृष्णा, घृणा, द्वेष, क्लेश, ईर्ष्या, अहंकार !
    लेकिन मानव ने तो पानी को भी प्रदूषित कर दिया है.

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