गुरुवार, 24 सितंबर 2015

कहने के लिए

कहने के लिए 
नहीं होती केवल उपलब्धियां 
कई बार अनकहा भी कहा जा सकता है किसी से 

कई बार अँधेरे को अँधेरे से निकालने के लिए भी 
दिखानी होती है उन्हें शब्दों की रौशनी 
उपलब्धि के लिए दुनिया कम है 
जो नहीं है लब्ध वही कहो प्रिये 


उपलब्धियों के लिए रौशनी ही रौशनी 
कैमरे की चमक दोस्तों की कतार 
लाइक्स और शुभकामनयें 
मुस्कुराते हुए खूबसूरत स्टीकर्स 
और जो नहीं हो सका उपलब्ध 
इस जीवन की जद्दोजहद में 
उसके लिए है न मेरा साथ 

कहने के लिए वे भी होती हैं 
कहो न !

सोमवार, 21 सितंबर 2015

क्लिक में तब्दील होते हम


हम सब 
हो रहे हैं तब्दील 
क्लिक में 

हम डाटा हैं 
मापे जाते हैं 
एमबी, जीबी और टीबी में 

हम फुटफॉल है 
हमारे आईबॉल्स गिनी जाती हैं 
सीसीटीवी कैमरे द्वारा 

हम हैं ट्रैफिक 
हमारी आवाजाही 
गिनी जाती हैं 
क्लिक की दर पर

हम हो सकते हैं
उपलोड
हम किये जा सकते हैं
डाउनलोड
हमें बफरिंग से बचाने के लिए
किये जा रहे हैं
पूरे प्रयास 

बाजार चाहता है 
अधिक से अधिक डेटा 
अधिक से अधिक ट्रैफिक 
मिलियन में क्लिक्स 

और बाज़ार के शब्दकोष में 
नहीं है आदमी जैसा कोई शब्द 


शुक्रवार, 11 सितंबर 2015

अमूर्त

अमूर्त भी 
लेता है 
एक आकर 

उसका कोई 
सिरा नहीं होता 
नहीं होता 
कोई छोर 
वह नहीं होता 
कहीं से शुरू 
न ही होता है 
कहीं से ख़त्म