विचारों का क्रम
कभी नहीं टूटता
जब तक टूटे नहीं
सांसों की डोर।
दुख, सुख
आशा निराशा
उत्साह अवसाद
सब हैं
विचारों की स्थिति।
प्रेम, घृणा
अन्धकार, प्रकाश
स्वतंत्रता परतंत्रता
भी कुछ और नहीं बल्कि है
विचारों की अभिव्यक्ति।
विचार करते हैं
सृजन
विचार करते हैं
विनाश
विचारों ही
तय करते हैं
मनुष्य का व्यवहार
मनुष्य से, प्रकृति से
सृष्टि से।
एक क्रम होता है
विचारों का
वैसे ही जैसे
गर्भ में पलता है शिशु
बीज में रहती है संभावनाएं
फिर वे पुष्पित प्लवित होते हैं
विचारों के वातावरण में।
मृत्यु होता है अंतिम विचार
मनुष्य के जीवन में।