यह मौसम है
पतझड़ का
पत्ते पीले पड रहे हैं
और कमजोर भी
वे गिर रहे हैं एक एक कर
जैसे घटता है पल पल जीवन
बुजुर्गों की आँखों का सन्नाटा
और गहरा गया है
पतझड़ का पीलापन उनके चेहरे के पीलेपन को
बढ़ा रहा है और भी अधिक
एक दिन गिर जायेंगे सब स्तम्भ
जो गिरेंगे नहीं उनके अवशेष रहेंगे खंडहर के रूप में
लेकिन वृक्ष कहाँ डरता है पतझड़ से
जहाँ से गिरता है पत्ता
वही से पनपता है नया कोंपल
पतझड़ को अच्छा लगता है हारना !
पतझड़ का
पत्ते पीले पड रहे हैं
और कमजोर भी
वे गिर रहे हैं एक एक कर
जैसे घटता है पल पल जीवन
बुजुर्गों की आँखों का सन्नाटा
और गहरा गया है
पतझड़ का पीलापन उनके चेहरे के पीलेपन को
बढ़ा रहा है और भी अधिक
एक दिन गिर जायेंगे सब स्तम्भ
जो गिरेंगे नहीं उनके अवशेष रहेंगे खंडहर के रूप में
लेकिन वृक्ष कहाँ डरता है पतझड़ से
जहाँ से गिरता है पत्ता
वही से पनपता है नया कोंपल
पतझड़ को अच्छा लगता है हारना !