गुरुवार, 20 अगस्त 2020

दुविधा

 मतदाता 

दुविधा में हैं कि 

किसके पक्ष में प्रकट करे 

अपना  मत 

एक तरफ रोटी छोटी हो गई है 

दूसरी तरफ रोज़गार गया है छिन

गांव उसका दह गया है बाढ़ में 

तो भाई शहर में बेकारी झेल रहा है 

वह किसके लिए दे अपना मत . 


जिसे वह देता है मत 

वही चढ़ कर कुर्सी पर भूल जाता है 

किये गए वायदे 

बिजली पानी, स्कूल, किताब , चूल्हा - चौका 

काम , धंधा पानी , दवाई 

सब रह जाती हैं बहस भर की बाते 

बाद में चर्चा में होता है 

सीमा पर युद्ध, 

युद्ध का भय 

फ़िल्मी सितारों की बातें 

खिलाडियों की कमाई 


वह दुविधा में है कि 

वह किस आधार पर तय करे अपना मत 

भाषणों पर या झंडे के रंग पर 

अपनी जाति के नाम पर या 

दंगे या युद्ध के भय के नाम पर 

या उन्माद पर . 

गुरुवार, 6 अगस्त 2020

राम

1.
तलुवे में 
चुभने पर कांटा 
अनायास ही 
मुंह से निकलने वाले राम को
नहीं जरूरत किसी मंदिर की 
किसी भव्यता की । 

2.
थककर चूर होने के बाद
जब खाने का पहला निवाला
पहुंचता है पेट में 
तृप्ति का वह भाव 
पर्याय है राम का 
लेकिन ऐसे राम को रहने के लिए
जरूरत नहीं किसी मंदिर के गर्भगृह की। 

3.
जो नाम 
भरता हो जोश
देता हो ऊर्जा
प्रकट करे आश्चर्य या दुख ही
किसी भी परिस्थिति में
कहीं भी किसी भी तरह
उपयुक्त लगे
ऐसे राम रहते हैं मानस  के हृदय में 
इन्हे जरूरत नहीं किसी पताके की। 

रविवार, 2 अगस्त 2020

मित्रता

1.
उजाले की मित्रता दिखती है वह परछाई की तरह कराता रहता है अपने होने का एहसास हर क्षण ।

2. अंधेरे की मित्रता बसा रहता है भीतर बिना की नाम के
बिना किसी आकर के कभी देखी है परछाई अंधेरे में।

3.
अपेक्षाएं
आकांक्षाएं
मित्रता की हैं शर्तें
अनकही
अलिखित। ---- - अरुण चन्द्र रॉय