सोमवार, 4 सितंबर 2023

गजल 3


न झूठी अब लिखाई चाहता हूं। 

बदलना रोशनाई चाहता हूं ।। ।1। 


कई खबरें हैं खबरों से परे जो,

मैं उनकी भी छपाई चाहता हूं। ।2। 


हैं रंगों ने किये सब कैद झंडे,

इन्हें देना रिहाई चाहता हूं। ।3। 


सभी पुर्जे निजामत के सड़े हैं

मैं इनकी अब सफाई चाहता हूं। ।4।


हवा, फल, फूल, छाया पेड़ देते,

तो क्यों इनकी कटाई चाहता हूं ? ।5।