मंगलवार, 30 नवंबर 2021

लैंगस्टन ह्यूज की कविता - नीग्रो बात करता है नदियों की , का अनुवाद

मैं जानता हूँ नदियों को
मैं जानता हूँ कि ये नदियां दुनिया में सबसे प्राचीन हैं और
मनुष्य की धमनियों में बहने वाले रक्त से भी हैं अधिक पुरानी । 

मेरी आत्मा
नदियों की तरह हो गई है गहरी 

मैं फरात नदी में मुंह अंधेरे नहाता था 
मैंने अपनी झोंपड़ी कांगो के पास बनाई
और मैं इसकी गोद में चैन से सोया 
मैंने नील नदी की ओर देखा और
उसके ऊपर पिरामिड बना लिए । 

मैंने मिसिसिपी की लहरों को गुनगुनाते सुना
जब यह बहती थी अबे लिंकन न्यू ऑरलियन्स के पास ,
और मैंने देखा है कि सूर्यास्त में
इसकी मिट्टी से सनी छाती हो जाती है
पूरी तरह से सुनहरी ।

मैं जानता हूँ  नदियों को :
प्राचीन, सांवली नदियों को ।

मेरी आत्मा
नदियों की तरह गहरी हो गई है।


- अनुवाद : अरुण चन्द्र राय 

बुधवार, 24 नवंबर 2021

एक दिन

 एक दिन 

बूढ़ी हो जाएगी माँ

सूख जाएगा इस बगीचे का 

सबसे पुराना वृक्ष 

उठेगा मेरे घुटने में दर्द 

बंद हो जाएंगा पत्नी का ऋतुचक्र 

पुरानी किताबें दे दी जाएंगी 

रद्दी वाले को 

परचून की दुकान बंद हो जाएगी 

गाँव के मुहाने पर खड़ा रिक्शावाला नहीं मिलेगा 

और कभी गुलज़ार रहने वाला घर /जो अब बादल गया है 

खंडहर में /जिसके आँगन में अब उग आए हैं 

बरगद और पीपल 

वे बरगद और पीपल और अधिक बड़े हो जाएंगे 

बचपन में लगी थी जो फैक्ट्रियाँ 

उनका धुआँ और अधिक काला पड़ जाएगा 

जिन तालाबों का पानी पीते थे बेधड़क 

वे तालाब  सूख जाएंगे 

और उदास हो जाएंगे नदियों के तट 

जिनपर पर "मास" करने नहीं आया करेंगे आस्थावान श्रद्धालु । 


ऐसा नहीं है कि

यह सब पहली बार होगा 

न ही होगा यह आखिरी बार । 



रविवार, 21 नवंबर 2021

बारिश का नृत्य

 


बारिश का नृत्य

मूल कविता - लिन रिग्स
अनुवाद - अरुण चन्द्र राय


धरती के बंजरपन के शाप से मुक्त
मीलों मील उल्लास से भरे 
लहलहाते खेत।

सुबह के सन्नाटे से को चीर कर
अंधेरे के घेरे से बाहर निकलकर 
खनखनाती दमकती धूप।

क्षणभंगुर जीवन के झंझावात 
अक्षम्य अपराधों का अफसोस
सोंधी मिट्टी से महकते एहसास
ये बारिश के नृत्य।

केवल बारिश का नृत्य
कम कर सकता है मेरे दुखों को
कम कर सकता है मेरे दर्दों को । 

***

शनिवार, 13 नवंबर 2021

सर्वश्रेष्ठ ब्लॉगों की सूची

दोस्तों 
मैने यह ब्लॉग संभवतः 2009 में शुरू किया था। वह दौर सोशल मीडिया का भारत की भूमि पर अवतरण का ही समय था । ट्विटर और फेसबुक तब तक भारत में आए नहीं थे और व्हाट्सएप का संभवतः जन्म भी नहीं हुआ था। उसमें भी हिंदी ब्लॉगिंग तो एकदम ही शैशव अवस्था में था। 

ब्लॉग ने हजारों हजार लोगों को पत्रिकाओं और समाचारपत्रों के संपादकों से आजादी दिलाई और रचनाएं, लेख सब डायरी से निकलकर सीधे लोगों तक पहुंचने लगी और यही सोशल मीडिया की असली ताकत है जो इसे लगातार सफल बना रही है। 

आज लगभग डेढ़ दशक बाद जब ब्लॉग हाशिए पर है और ट्विटर और फेसबुक इंस्टेंटली लोगों तक पहुंच रही हैं, व्हाट्स अप संदेशों को वायरल करने की ताकत रखने लगा है, ब्लॉगिंग अपनी जमीन फिर से तलाश रहा है। आज ब्लॉगिंग का हाल हिंदी की छोटी पत्रिकाओं और समाचार पत्रों जैसा हो गया है। फिर भी मेरा मानना है कि इसकी प्रासंगिकता अभी खत्म नहीं हुई है। 

जैसे समाचार पत्र में कितने भी चटकीले विज्ञापन भर जाएं, वह अपने संपादकीय पृष्ठ के तेवर के लिए जाना जाता है, जैसे समाचार चैनल  कितना भी शोर मचा लें उन्हें प्राइम टाइम में गंभीर होना ही होता है, उसी तरह ब्लॉगों का भी दीर्घकालिक और ऐतिहासिक महत्त्व है। 

इस दौरान हिंदी ब्लॉगिंग के कंटेंट में निरंतर सुधार हुआ है और विविधता आई है जो इसे पुनर्परिभाषित कर रहा है। 
लगभग दस वर्षों से प्रत्येक वर्ष हिंदी ब्लॉगों में सर्वश्रेष्ठ ब्लॉगों की सूची बन रही है जिसमें मेरा ब्लॉग शामिल रहा है जबकि मेरे ब्लॉग पर ट्रैफिक बहुत कम है। कम ट्रैफिक वाले विषय पर तब संतोष बढ़ जाता है जब सुनता हूं कि इस वर्ष साहित्य के लिए नोबेल पुरस्कार विजेता श्री अब्दुल रज्जाक गुरनाह की किताबें भी दो हजार प्रतियों से अधिक नहीं बिकती थी। खैर। 

वर्ष 2021 के हिंदी ब्लॉग के सर्वश्रेष्ठ ब्लॉगों की सूची में मेरा ब्लॉग फिर से शामिल होने की खबर हौसला देती है, लिखने के प्रति प्रेरित करती है । हां इन डेढ़ दशकों में न तो मेरी कविताओं का  तेवर न ही मेरे ब्लॉग सरोकार का सरोकार बदला है।  

सर्वश्रेष्ठ हिन्दी ब्लॉगों की सूची यहां देखी जा सकती है : 
https://www.indiantopblogs.com/p/hindi-blog-directory.html?m=1

शुभकामनाएं दीजिए।