1.
खिले हुए फूल
धीरे धीरे मुरझा जायेंगे
इनके चटक रंग
उदासी में बदल जायेंगे
बसंत की नियति है
पतझड़
फिर भी बसंत लौटता है
अगले बरस .
2.
आम पर
जब लगती हैं
मंजरियाँ
उन्हें मालूम होता है
कुछ ही मुकम्मल हो पाएंगी
अधिकाँश झड जायेंगी
अपरिपक्व
फिर भी मंजरियाँ महकती हैं
हवाओं में .
3.
वह जो सुबह सवेरे
साइकिल पर अखबार लादे
तीसरी चौथी मंजिल तक फेंकता है अखबार
उसपर कहाँ असर होता है
बसंत की मादक हवाओं का
उसे फूलों पर मंडराते भौरे नहीं दीखते
उसके लिए बसंत
ग्रीष्म, शरद या शिशिर से भिन्न नहीं
कोई खबर भी नहीं
फिर भी वह
गुनगुनाता है प्रेम गीत.
गुनगुनाता है प्रेम गीत.
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