एक मॉल के
है गुजरात या राजस्थान
चकाचौंध के नीचे पसरे
अँधेरे में
बैठा है यह
११ साल का मेहंदीवाला
जिस उम्र में
सही सही अक्षर बनाना
नहीं सीख पाया है
मेरा बेटा
उस उम्र में
सभी उम्रों की हथेलियों में
उकेर देता है मनचाहे चित्र
खूबसूरती से
११ साल का मेहंदीवाला
उसे नहीं पता
क्या है सूरज, चाँद, तारे
फूल, पत्ते, मोर, कृष्ण और राधा
लेकिन मालूम है
किसकी हथेली पर
जचेगा चाँद, तारे,मोर के चित्र
किसकी हथेली पर
राधा कृष्ण
जानता है
११ साल का मेहंदीवाला
मेहंदी का तेल लगाते हुए
बड़ी मीठी बातें करता है
अपनी उम्र से कही अधिक मीठी बातें
जबकि जानता है वह स्वयं भी
कोई मिठास नहीं है
उसके जीवन में
सुन्दरता से रचने को मेहंदी
सहज कर लेता है
हथेलियों को
११ साल का मेहंदीवाला
देश के किस हिस्से में
कहाँ रहते हैं मारवाड़ी
नही पता उसे
लेकिन उसे पता है
अलग अलग प्रदेश की मेहंदी कला
पूरे देश को हथेलियों में समेट देता है
११ साल का मेहंदीवाला
व्यस्त रहता है
उत्सवो, तीज त्योहारों पर
सावन के सोमवार को
राखी से पहले
धनतेरस के दिन
करवा चौथ पर रहती है
उसकी भारी पूछ
पूछता है अपनी माँ से
घर लौटने पर
क्यों नहीं होता हर दिन
त्यौहार कोई ना कोई
उस समय अपनी उम्र से
बहुत बड़ा लगता है
११ साल का मेहंदीवाला