राजधानी से
देश की ओर निकलने वाली
हर सड़क को
कहा जाता है
विकास मार्ग.
विकास मार्ग
जहाँ जहाँ से गुज़रता है
छीन लेता है
खेत खलिहान
मोड़ देता है
पानी का बहाव
बदल देता है
प्रकृति का स्थानीय चक्र
उगा देता है
कंक्रीट के कांटे
चिमनियाँ सुलग उठती हैं
सूरजमुखी फूलों की जगह
विकास मार्ग
लाता है विकास का बेतरतीब बहाव
करता है बहुत विकास एकमुखी
चौड़ी कर देता है खाई
बदल देता है
अर्थव्यवस्था का चरित्र ही
आत्मनिर्भरता को
विस्थापित कर देता है
नौकरी पेशा से
प्रति व्यक्ति आय के अनुपात में
तेज़ी से बढ़ता है प्रति व्यक्ति व्यय
विकास मार्ग के दोनों ओर
लग जाते हैं
मोबाइल के ऊँचे ऊँचे टावर
बंद हो जाते हैं
छोटे छोटे बाज़ार
खुलने लगते हैं माल
बिकने लगते हैं
दुनिया के नामी गिरामी ब्रांड
सूखे खेतों की पीठ पर
चाबुक की छाप से प्रतीत होते हैं
तेज़ी से बढ़ रहे हैं
फ़ैल रहे हैं
विकास मार्ग
चारों ओर
अमर बेल की तरह
चूसते हुए
धरती का पानी, पोषण
यह दौर है जब
नामकरण हो रहा है इनका
भांति भांति से
ताकि याद रहे
खेत खलिहानों को
अवाम को
कि कौन लाया था यह विकास मार्ग
क्या था इसका उद्देश्य