शनिवार, 31 अगस्त 2013

बंध गयी है छोटी नदी

मेरे गाँव में 
हुआ करती थी 
एक नदी 
जो जाकर मिलती थी 
बड़ी नदी में 
वह सूख गई 
कहते हैं इस छोटी नदी को 
बाँध लिया गया है 
कहीं बहुत पहले ही 

सुना है कि 
बनेगी बिजली 
जो जाएगी दिल्ली 
करने को रोशन 
संसंद और उसके गलियारे 

कहने वाले यह भी कहते हैं कि 
संसद के सभी कक्षों की खिड़कियाँ 
बंद हो गई हैं हमेशा के लिए 
शीशे चिपक गए हैं 
चौखटों से 
क्योंकि आती थी 
देश की हवा पानी 
शोर शराबा 
इन्ही खिडकियों से 

वातानुकूलित हो गया है 
संसद का पूरा परिसर 
इसके लिए चाहिए और बिजली 
जिसके लिए चाहिए और बाँध 

पहाडी नदियों पर बाँध 
जमीनी नदियों पर बाँध 
ताकि जगमगाए दिल्ली की संसंद 
और उसके गलियारे 
और बंध गयी है छोटी नदी !

12 टिप्‍पणियां:

  1. संसद के गलियारे उजास से भरने बंध गई है छोटी नदी ।

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  2. क्या सटीक तरीके से कम शब्दों में इतनी बड़ी बात कह दी आपने ...आपकी हर रचना में संदेस होता है और एक ताजगी भरा प्रयोग ..आपकी रचनाधर्मिता को नमन

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  3. संसाधन, धन, सबकी नदियाँ,
    दौड़ी भागी जातीं दिल्ली।

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  4. दूधि‍ए ने बछड़ा बंधक रख लि‍या है ताकि‍ वही दि‍खा कर रोज़ गाय दुही जा सके...

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  5. बंध गई है छोटी नदी
    .... कम शब्दों में बड़ी बात

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  6. पहाडी नदियों पर बाँध
    जमीनी नदियों पर बाँध
    ताकि जगमगाए दिल्ली की संसंद
    और उसके गलियारे
    और बंध गयी है छोटी नदी

    बहुत खूब...

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  7. बहुत सुंदर बाँधी है
    आपने छोटी सी नदी !

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  8. सब कुछ होता है गाँवों में लाभ मिलता है शहरों को ,,,

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  9. यही नियति है .. गांव की और उसके आस-पास की नदियों की

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  10. प्रकृति से उपहार लें मगर बंधक न बनाएं तभी भलाई है !

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  11. पता नहीं ओर क्या क्या प्रतिबंधित होने वाला है ... इस संसद के उजाले के लिए ... पूरे देश का मिनी रूप वहां ही तो बसता है ... ओर ये संविधान ही कहता है ...

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