गुम गया है
ए़क बच्चा
शोर है सारे शहर में
लोग लगा रहे हैं
नारे
लोग दे रहे हैं
धरना
बदल बदल कर पाला
शोर है सारे शहर में
गुम गया है ए़क बच्चा
लोग लगा रहे हैं
आरोप
लोग कर रहे हैं
प्रत्यारोप
लोग कर रहे हैं
प्रेस कोंफेरेंस
लोग कर रहे हैं
स्टिंग ऑपरेशन
शोर है सारे शहर में
गुम गया है ए़क बच्चा
लोग घोषित कर रहे हैं
इनाम
लोग बाँट रहे हैं
मुआवजा
बच्चे के हो गये हैं
कई कई पिता
कई कई माँ
किसी के पास है
जन्म प्रमाणपत्र
तो कोई तैयार है
करने को डीएनए टेस्ट
और
बच्चा है कि
चाहता है एक अदद ऊँगली
और पहुचना चाहता है
अपने घर
शोर है सारे शहर में कि
गुम गया है ए़क बच्चा !
बुधवार, 28 अक्तूबर 2009
मंगलवार, 6 अक्तूबर 2009
अभी इस देश में
अभी
इस देश में
देह नही बिकते
लोग भूखे नही सोते
किसान आत्महत्या नही करते
गाँव को सडको की जरुरत नही
अभी
इस देश में
लोग विस्थापित नही हो रहे
लोग शरणार्थी नही
रोटियां कम नही हो रही
लोगों को रोजगार की जरुरत नही
अभी
इस देश में
निर्माण-परब मनाया जा रहा है।
मीडिया की आँखें
इन दिनों इस ओर नही आती
इस ओर है गुफ्फ़ अँधेरा
और जिस ओर है मीडिया की नज़र
उधर की चौंधियाती रौशनी में
कुछ नज़र नहीं आता
अभी
इस देश में
निर्माण-परब मनाया जा रहा है ।
इस देश में
देह नही बिकते
लोग भूखे नही सोते
किसान आत्महत्या नही करते
गाँव को सडको की जरुरत नही
अभी
इस देश में
लोग विस्थापित नही हो रहे
लोग शरणार्थी नही
रोटियां कम नही हो रही
लोगों को रोजगार की जरुरत नही
अभी
इस देश में
निर्माण-परब मनाया जा रहा है।
मीडिया की आँखें
इन दिनों इस ओर नही आती
इस ओर है गुफ्फ़ अँधेरा
और जिस ओर है मीडिया की नज़र
उधर की चौंधियाती रौशनी में
कुछ नज़र नहीं आता
अभी
इस देश में
निर्माण-परब मनाया जा रहा है ।
टूटे हुए खिलौने
हर रोज़
डर जाता हूँ
जब बेटी रोती है
अपने खिलौनों के टूट जाने पर
और में उसे चुप नही कराता
जानता हूँ
कल होकर टूटेंगे
खिलौनों से भी ज्यादा कुछ ।
स्कूल में
बस्त्ते के नीचे दब कर बचपन
मेरे अम्बिशन को पाने के लिए
छलांग लगते हुए उसके 'स्व' की टांग
और कई बार चुभेंगे उसकी आंखों में
उसके अपने ही सपने
बस इतनी सी दुआ करता हूँ
बच्चों के लिए
वे टूटें
मगर बिखरें नही !
डर जाता हूँ
जब बेटी रोती है
अपने खिलौनों के टूट जाने पर
और में उसे चुप नही कराता
जानता हूँ
कल होकर टूटेंगे
खिलौनों से भी ज्यादा कुछ ।
स्कूल में
बस्त्ते के नीचे दब कर बचपन
मेरे अम्बिशन को पाने के लिए
छलांग लगते हुए उसके 'स्व' की टांग
और कई बार चुभेंगे उसकी आंखों में
उसके अपने ही सपने
बस इतनी सी दुआ करता हूँ
बच्चों के लिए
वे टूटें
मगर बिखरें नही !
रिशेप्शनिस्ट
१
वर्षो से
सैकडों फोन
रोज सुनती है वो
लेकिन नही आया
वो एक फोन
जिसका इंतज़ार था उसे .
२
टेलीफोन के पैड पर
थिरकतीं हैं उसकी उंगलियाँ ऐसे
जैसे थिरका था उसका पांव
पहला प्यार होने पर .
३
दफ्तर के पीछे वाली खिड़की पर
रहने वाली गौरैया
बहुत खुश थी आज
उसने जाने थे अंडे
पहली बार इर्ष्या की आग में
जली थी वो .
वर्षो से
सैकडों फोन
रोज सुनती है वो
लेकिन नही आया
वो एक फोन
जिसका इंतज़ार था उसे .
२
टेलीफोन के पैड पर
थिरकतीं हैं उसकी उंगलियाँ ऐसे
जैसे थिरका था उसका पांव
पहला प्यार होने पर .
३
दफ्तर के पीछे वाली खिड़की पर
रहने वाली गौरैया
बहुत खुश थी आज
उसने जाने थे अंडे
पहली बार इर्ष्या की आग में
जली थी वो .
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