माँ
बहुत प्यार करता हूँ तुम्हे
फिर भी
दे ना सका कभी तुम्हे
कोई गुलाब
कोई कार्ड
जब भी कुछ देने की पहल की
सोचा पहले छुडवा दू
तुम्हारे बंधक पड़े गहने
गहने छुडवा न सका
क्योंकि हर बार
बदल गई प्राथमिकताएं
कुछ तुम्हारी मर्ज़ी से
कुछ खिलाफ
पता नहीं कैसे तुम
बिना उपहार
बिना इज़हार
करती हो प्यार
बाबूजी
आपसे भी करता हूँ
उतना ही प्यार
जितना माँ से
और यह प्यार
तब और बढ़ गया था
जब आपने लगवाया था
पहली बार गाँव में अखबार
फिर भी
कभी आया नहीं ख्याल कि
ले लू आपके लिए कार्ड, फूल
या कुछ और
ख्याल में रहा कि
बंधक पड़े हैं जो खेत
छुडवा लूं पहले
अन्न से भर दूं
गिरते हुए दालान पर पड़ा
वर्षों से खाली भंडार
खेत तो छूटे नहीं
क्योंकि नहीं चाहते थे आप
मेरी प्राथमिकताएं
गंवई हो जाये
शायद मेरी बदली हुई
अर्थव्यवस्था
और उससे कहीं अधिक
बदले हुए मनोभावों से
परिचित थे आप
सोचता हूँ अक्सर
कैसे निभाते हैं आप
प्रेम यह एकतरफा
बहुत प्यार करता हूँ तुम्हे
फिर भी
दे ना सका कभी तुम्हे
कोई गुलाब
कोई कार्ड
जब भी कुछ देने की पहल की
सोचा पहले छुडवा दू
तुम्हारे बंधक पड़े गहने
गहने छुडवा न सका
क्योंकि हर बार
बदल गई प्राथमिकताएं
कुछ तुम्हारी मर्ज़ी से
कुछ खिलाफ
पता नहीं कैसे तुम
बिना उपहार
बिना इज़हार
करती हो प्यार
बाबूजी
आपसे भी करता हूँ
उतना ही प्यार
जितना माँ से
और यह प्यार
तब और बढ़ गया था
जब आपने लगवाया था
पहली बार गाँव में अखबार
फिर भी
कभी आया नहीं ख्याल कि
ले लू आपके लिए कार्ड, फूल
या कुछ और
ख्याल में रहा कि
बंधक पड़े हैं जो खेत
छुडवा लूं पहले
अन्न से भर दूं
गिरते हुए दालान पर पड़ा
वर्षों से खाली भंडार
खेत तो छूटे नहीं
क्योंकि नहीं चाहते थे आप
मेरी प्राथमिकताएं
गंवई हो जाये
शायद मेरी बदली हुई
अर्थव्यवस्था
और उससे कहीं अधिक
बदले हुए मनोभावों से
परिचित थे आप
सोचता हूँ अक्सर
कैसे निभाते हैं आप
प्रेम यह एकतरफा
आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
जवाब देंहटाएंप्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (14-2-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
http://charchamanch.uchcharan.com
itini vyatha sunai...................kya kahe...................hriday sparshi baat kahi
जवाब देंहटाएंएक निवेदन-
मैं वृक्ष हूँ। वही वृक्ष, जो मार्ग की शोभा बढ़ाता है, पथिकों को गर्मी से राहत देता है तथा सभी प्राणियों के लिये प्राणवायु का संचार करता है। वर्तमान में हमारे समक्ष अस्तित्व का संकट उपस्थित है। हमारी अनेक प्रजातियाँ लुप्त हो चुकी हैं तथा अनेक लुप्त होने के कगार पर हैं। दैनंदिन हमारी संख्या घटती जा रही है। हम मानवता के अभिन्न मित्र हैं। मात्र मानव ही नहीं अपितु समस्त पर्यावरण प्रत्यक्षतः अथवा परोक्षतः मुझसे सम्बद्ध है। चूंकि आप मानव हैं, इस धरा पर अवस्थित सबसे बुद्धिमान् प्राणी हैं, अतः आपसे विनम्र निवेदन है कि हमारी रक्षा के लिये, हमारी प्रजातियों के संवर्द्धन, पुष्पन, पल्लवन एवं संरक्षण के लिये एक कदम बढ़ायें। वृक्षारोपण करें। प्रत्येक मांगलिक अवसर यथा जन्मदिन, विवाह, सन्तानप्राप्ति आदि पर एक वृक्ष अवश्य रोपें तथा उसकी देखभाल करें। एक-एक पग से मार्ग बनता है, एक-एक वृक्ष से वन, एक-एक बिन्दु से सागर, अतः आपका एक कदम हमारे संरक्षण के लिये अति महत्त्वपूर्ण है।
सोचता हूँ अक्सर
जवाब देंहटाएंकैसे निभाते हैं आप
प्रेम यह एकतरफा
बहुत मर्मस्पर्शी रचना..रिश्तों की गहराई केवल महसूस की जा सकती है, व्यक्त नहीं..बहुत सुन्दर
एक तरफा प्रेम की ऐसी कविता पहली बार पढ़ी है..... सच में माता पिता तो देना ही जानते हैं..... हर हाल में..... बहुत ही अच्छी लगी रचना
जवाब देंहटाएंसोचता हूँ अक्सर
जवाब देंहटाएंकैसे निभाते हैं आप
प्रेम यह एकतरफा
Aah! Bada dard bhara pada hai!
बौने पड़ते शब्द.
जवाब देंहटाएंबहुत ही मर्मस्पर्शी और भाव परवान रचना. इसकी सहजता ही इसका दुर्बोध्हाई, आसन शब्द ही कठिन और व्यापक अर्थ संप्रेषित कर रहे हैं. इतनी अच्छी कविता का सृजन यूं ही नहीं हुआ है. कुछ बात है अप में जो औरों में नहीं है. यह कहानी केवाल आपकी नहीं प्रायः प्रत्येक संवेदी की है परन्तु बात एहसास करने और कराने की है.माँ -बाप अपनी प्राथमिकताओं को बच्चों के भविष्य के लिए तिलांजलि देते ही है यह नयी बात नहीं है. नयी बात यह है की हम उसे कितना समझते हैं? आपने माँ-बाप के इस एकतरफा प्यार को समझा और व्यापक परिप्रेक्ष्य में समझा बहुत ही अच्छा लगा...बात अंतर्मन को छू गयी बहत बहुत आभर माँ-बाप का आशीर्वाद बना रहे यही कामना है. उचाईयों को संस्पर्श करें यही मेरी शुभकामना है आप के लिए....मर्मस्पर्शी काय और कथ्य के लिए एक बार पुनः बधाई...
जवाब देंहटाएंkya kahun sir!! aap to ek dum se nih-shabd kar dete hain...:)
जवाब देंहटाएंhar post me aapki soch aur sarthak soch jhalakti hai..:0
bahut khub...happy valentine's day!
सच है की माता पिता को देने के लिए तो कोई भी उपहार छोटा पड़ेगा. उनका जैसा निःस्वार्थ प्रेम कोई दूसरा कर भी नहीं सकता है
जवाब देंहटाएंबहुत मर्मस्पर्शी रचना....बहुत ही अच्छी लगी रचना
जवाब देंहटाएंकोमल रचना, एक पक्ष यह भी है।
जवाब देंहटाएंपूरी कविता मानवीय संवेदना के इर्द गिर्द घुमती है ...और कविता में संवाद के माध्यम से भावों को संप्रेषित किया गया है, कविता में नाटकीय पुट है , कविता के तीनो पात्र अपने - अपने मन के भाव पाठक के सामने रखते हैं ..और वहां पर लड़के का यह कहना कि :-
जवाब देंहटाएंसोचता हूँ अक्सर
कैसे निभाते हैं आप
प्रेम यह एकतरफा
पूरी मानवीय संवेदना को जाग्रत कर देता है ..और प्रेम के महत्व को उजागर कर देता है ....सार्थक प्रस्तुति
prem ki awismarniy abhivykti, wakyi aapki kalam me baat hai .. badhai....
जवाब देंहटाएंaapke blog par kuchh links hain ,jinhe maine follow karna aarambh kiya hai, swikriti den.
जवाब देंहटाएंप्यार हर रूप मैं होता है
जवाब देंहटाएंइसके लिये कोई दिन तय नहीं हो सकता
जो दिन तय कर के प्यार करा जाये वो प्यार नहीं होता,
और माँ बाप का प्यार तो वैसे भी अनमोल होता है
और वो एक तरफ़ा ही होता है
क्युकि आज कल बच्चे ज्यादा व्यस्त रहने लगे है
उनके पास टाइम नहीं है उनके लिये
क्या बात कही......
जवाब देंहटाएंमर्म को छू गयी...
आपकी कलम...वाह !!!
सोचता हूँ अक्सर
जवाब देंहटाएंकैसे निभाते हैं आप
प्रेम यह एकतरफा
..
bahut sundar marmsparthi rachna ....
sach rishton ko gahraaye se hi mahsoos kiya ja sakta hai..
मां है मोहब्बत का नाम.
जवाब देंहटाएंमाँ बाप का प्यार तो अनमोल और निस्वार्थ होता है...बहुत अच्छी प्रस्तुति..शुभकामनायें.......
जवाब देंहटाएंसोचता हूँ अक्सर
जवाब देंहटाएंकैसे निभाते हैं आप
प्रेम यह एकतरफा ....
Beautifully expressed !
.
इसे पढ़कर अचानक से याद आया की कैसे माता-पिता एक तरफ़ा प्यार ज़िन्दगी भर निभा लेते हैं और आजकल दो लोगों का नमस्कार भी यही देख कर होता है कि सामने वाला किस काम आएगा..
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भाव.. अच्छा लगा..
main ise..apne buzz..apne facebook wall sab pe share kar raha hun.... ab aur kya kahoon...no words..kinkartavyvimoodh...
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छी कविता है.. बहुत सुंदर भाव हैं..
जवाब देंहटाएंआपने तो हमें सोचने पर मजबूर कर दिया.....एक बार माँ और बाबूजी का चेहरा आखों के सामने घूम गया, लगा की वाकई में भूल गया उन्हें. जीवन की आपाधापी में ये सब याद दिलाने के लिए धन्यवाद...
जवाब देंहटाएंअति सुन्दर मर्मस्पर्शी रचना
माता-पिता का प्यार बिना give n take की शर्त के साथ होता है....शायद इस संदेश के साथ कि वे भी इस तरह का निस्स्वार्थ प्रेम करना सीखें...
जवाब देंहटाएंअगर बच्चे उनके प्यार की कद्र समझ लें...उन्हें सबकुछ मिल जायेगा ..मेटेरियालिस्टिक चीज़ें शायद उतना महत्त्व नहीं रखतीं
सुन्दर कविता.
आपकी ये कविता आज के नवजात बच्चों को सुनाकर ही उनका नामकरण संस्कार करना चाहिए. ताकि तेरह की उम्र में आकर जान सके की पहला गुलाब किसे देना है और क्यों.देश में गलतफहमियों की औलादें कुकुरमुत्तों सी बढ़ रही है. अभिभावक किस जाम में फंस गए कि घर नहीं लौटे.हम क्या करें. बस जानते हैं कि मौन में कितनी ताकत है परिणामत: हम यहाँ तक आ पहुंचे जहां लोग प्यार को कैसे-कैसे नापने लगे हैं?
जवाब देंहटाएंumda rachna, bhavanon ke samandar mai hilore leti hui rishton ki kashti kabhi kinaron ke kareeb kabhi dur, nirantar jewaan yatra par agrasar...
जवाब देंहटाएंI am touched...
वेलेंटाइन डे ko ek naya aayaam de diya hai aapne ... nishchal prem ki abhivyakti ke liye sach mein koi din nahi hota ...
जवाब देंहटाएंDil ko choo gayee aapki rachna ...