सोमवार, 7 फ़रवरी 2011

लीक


नहीं रहेगी 
अब लीक 
क्योंकि 
नहीं रहेगी मिटटी नरम
जिस पर बने कोई पहचान

अब बैलों के खुर
और बैलगाड़ियों के पहिये
दोनों ही नहीं रहेंगे
फिर कैसे बनेगी
गाँव  की पगडंडियों  पर
कोई लीक

लीक
जो प्रतीक थी 
विश्वास की
जिसे पकड़
आँखें मूँद
पहुँच जाया करते हैं
बैल अपने घरों तक
विश्वास के  साथ ही
मिट जायेंगे

उनके लिए
जिन्होंने कभी नहीं माना
हाथ की लकीरों को
मिट्टियों में सने
पसीने से लथपथ
आत्माओं के लिए
लीक
होती थी
भविष्य की रेखाओं सी 

बदलते समय के साथ 
मिट जायेगी 
गाँव की  सड़क की लीक 
फिर भी क्या
लीक से हट सकेंगे
गाँव/देश/समाज/दुनिया 
अपनी सोच में

कच्ची सड़कों  पर
बनाने वाला लीक 
बनाता  था
ह्रदय पर भी
पूरी संवेदना के साथ
मिटटी की महक के साथ
जिसमे संघर्ष तो होता था 
नहीं था अविश्वास
 

एक लीक 
बनाई थी  मैंने 
अपने ह्रदय में 
कि  आएगा कोई 
पहचान कर 
मिटटी और इसकी महक 
प्रतीक्षारत है लीक 
और रहेगी
मिटटी के न रहने तक भी . 

20 टिप्‍पणियां:

  1. उनके लिए
    जिन्होंने कभी नहीं माना
    हाथ की लकीरों को
    मिट्टियों में सने
    पसीने से लथपथ
    आत्माओं के लिए
    लीक होती थी

    आदरणीय अरुण जी
    यथार्थ का दर्शन करवाती आपकी कविता एक मेहनती व्यक्ति के मनोबल का जीवंत वर्णन प्रस्तुत करती है ...कविता भी लीक से हटकर है ...आपका आभार

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  2. लीक
    जो प्रतीक थी
    विश्वास की
    जिसे पकड़
    आँखें मूँद
    पहुँच जाया करते हैं
    बैल अपने घरों तक
    विश्वास के साथ ही
    मिट जायेंगे
    ... sab kuch yun hi khatm hota jayega

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  3. कच्ची सड़कों पर
    बनाने वाला लीक
    बनाता था
    ह्रदय पर भी
    पूरी संवेदना के साथ
    मिटटी की महक के साथ
    जिसमे संघर्ष तो होता था
    नहीं था अविश्वास

    सच्ची बात कही है...उन मिटटी की महक के सतह सारी लीक भी कहीं खो गयी है..

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  4. लीक बनाने योग्य कोई आदर्श भी तो नहीं रहा देश में जिसे पकड़कर जनता बिना कुछ सोचे समझे बस चल पड़े... जिसने एकला चॉलो रे की लीक बनाई उसके पीछे जग चला... किंतु आज.. विकी लीक्स ने इतने लीक दिखाए हैं कि सारे सरमायादार ही छिद्रमय दिखाई रहे हैं!!

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  5. सच है, लीक के लिये कच्ची मिट्टी चाहिये, दुखों से सब सुर्ख हो गया है।

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  6. "लीक"
    एकदम अनछुआ विषय.
    सुन्दर और
    सटीक.
    आपकी कविता
    कलात्मकता की
    प्रतीक.

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  7. किसी की पंक्ति है-
    रास्‍ते जितने बने जिद ने बनाए हैं
    लीक तो आखिर बुजुर्गों की वसीयत है.

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  8. एक लीक
    बनाई थी मैंने
    अपने ह्रदय में
    कि आएगा कोई
    पहचान कर
    मिटटी और इसकी महक
    प्रतीक्षारत है लीक
    और रहेगी
    मिटटी के न रहने तक भी .

    और कविता भी लीक से हट्कर है…………ये आप ही कर सकते हैं……………सुन्दर प्रस्तुति सोचने को मजबूर करती है।

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  9. एक लीक
    बनाई थी मैंने
    अपने ह्रदय में
    कि आएगा कोई
    पहचान कर
    मिटटी और इसकी महक
    प्रतीक्षारत है लीक
    और रहेगी
    मिटटी के न रहने तक भी .
    Aprateem panktiyan!

    जवाब देंहटाएं
  10. बिल्कुल नया और सुंदर बिम्ब लिया ...जीवन के करीब लगी रचना .....

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  11. एक दम अद्भुत विषय है ये अरुण सर ... इस रचना के अंत नें एक बेहद सुन्दर रेखा खींच दी है मन पर...

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  12. आदरणीय अरुण जी
    कविता भी लीक से हटकर है...प्रस्तुति सोचने को मजबूर करती है

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  13. अरुणजी गाँव, देश, समाज, दुनिया के साथ - साथ मन के सुन्दर अहसासों को भी जोड़ लिया लीक में रहकर भी लीक से हटकर भी ... बहुत खूब, प्रशंसनीय ........

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  14. गहन अर्थों को समेटती एक खूबसूरत और भाव प्रवण रचना. आभार.
    आपको वसंत पंचमी की ढेरों शुभकामनाएं!
    सादर,
    डोरोथी.

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  15. उनके लिए
    जिन्होंने कभी नहीं माना
    हाथ की लकीरों को
    मिट्टियों में सने
    पसीने से लथपथ
    आत्माओं के लिए
    लीक होती थी
    भविष्य की रेखाओं सी'

    sachmuch,ham apani jadon se katate jaa rahe hain .
    basant panchami ki shubhkamnaayen!

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  16. अदभुत चिंतन , सुकून नहीं है फिर भी मन कहीं सुकून में है ...
    कि आएगा कोई ...

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  17. कच्चे दूध की गंध लिए शानदार कविता

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  18. एक साथ कई दिशाओं में ले जाने वाली इस तरह की कवितायेँ बहुत कम ही पढ़ने को मिलती है

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