सोमवार, 21 फ़रवरी 2011

राजपथ पर गिलहरियाँ


राजपथ 
कभी इसका नाम था 
'किंग्स वे' 
जरुरत नहीं 
समझाने को इसका अर्थ 
बदल दिया है जिसने
पूरे राष्ट्र का चरित्र  

राजपथ के एक छोर पर 
है राष्ट्रपति भवन 
जहाँ निवास है 
सैकड़ों एकड़ में फैले 
दुनिया के निचले पायदान पर खड़े 
आधे गरीबों के देश के
राष्ट्रपति का  

राजपथ के दूसरे  छोर पर
उपनिवेशवाद के ख़त्म होने के बाद भी 
स्मृतिचिन्ह के रूप में खड़ा है
दृढ इंडिया गेट
परतंत्र के पराक्रम को बढाता 

राजपथ के दोनों ओर 
विस्तार है हरे घास की चादर का 
 और छायादार वृक्ष कतारबद्ध हो 
और हैं मंत्रालय के दफ्तर 
जो होने चाहिए थे 
जन और तंत्र के बीच पुल
बने हैं सत्ता के कारीडोर
जो अलग करते हैं
जन को तंत्र से

राजपथ के दोनों ओर
हजारों की  संख्या में हैं
गिलहरियाँ, 
इन प्रिय गिलहरियों को
बना लिया है अपना शिकार 
सत्ता के कारीडोर के लोगों ने
बदल दिया है इनका चरित्र
जैसे बदला है पूरे राष्ट्र का
आसानी से समृद्धि का देकर 
लोभ

मूंगफली दिखा 
बुला ली जाती हैं
गिलहरियाँ और फिर 
शुरू होती  है अटखेलियाँ 
एक गिलहरी या 
खास गिलहरी के समूह को
संरक्षित कर, तुष्ट कर 
दूसरी गिलहरी या उसके समूह को
भड़काया जाता है
लड़ाया जाता है 
और दो गिलहरियों या उनके समूहों के बीच 
देख लड़ाई खुश होते हैं बेहिसाब 
राजपथ पर सत्ता के कारीडोर के लोग 
चर्चा करते हैं 
गिलहरी के रूप रंग, आदतों के बारे में 
मोबाइल से खींचते हैं 
जीवंत तस्वीरें 
जैसे खींची जाती है 
भूखे किसान की तस्वीर 
सूखे खेत के सामने 
लगे हैं ऐसी कई तस्वीरें 
राष्ट्रपति भवन और इसके आसपास के भवनों में

अब तो गिलहरियाँ 
चालाक हो गईं हैं 
हो गये हैं इनके भी पाले
फुदकती गिलहरियों की आँखों में
पलता है लालच, विद्वेष
बस आसानी से मिलने वाले
मूंगफली के दानो के लिए
ऐसे में गिलहरियाँ
पतनशील लगती हैं

दूसरी तरफ 
एक आनंद की वस्तु बन गई हैं
राजपथ पर गिलहरियाँ 
ठीक राजपथ से 
सैकड़ो किलोमीटर दूर 
आम आदमी की तर्ज़ पर
आत्महत्या करते
दंगा करते
कदाचार करते

यहाँ पर गिलहरियाँ
शिकार हैं सत्ता के गलियारे में
पलने वाले बहेलियों के
एक दिन गुम हो जाएँगी
गिलहरियों की मासूमियत 
राजपथ पर 

29 टिप्‍पणियां:

  1. राजपथ
    का विहंगम अवलोकन
    और विस्तृत विश्लेषण करती हुई
    पढने वालों के साथ-साथ
    चिंतन करती हुई
    प्रभावशाली कृति ... !!
    गिलहरियों को प्रतीक के रूप में
    प्रयोग करना
    रचना के सार्थक होने में सहायक बन पडा है

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  2. टिप्पणी तो बाद में करूंगा,
    पहले ये बताइए कि नल-नील नाम वाले गिलहरी मिले, जिन्होंने सागर पर सेतु बना दिया था, भवसागर पार कराने वालों के लिए।

    सुना है आज कल वो भी उधर ही चक्कर लगा रहे हैं। उन्हें कोई काम-धाम है या वो भी
    “दुनिया के निचले पायदान पर खड़े
    आधे गरीबों के देश के ”
    ..... ही बासिंदे हैं, जो यहां के निचले पायदान पर हैं।

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  3. वाह.... इस बार तो जबरदस्त विम्ब लेकर आये हैं आप ! मतलब कि सच्चाई को भी कविता बना दिया.... हा...हा... हा....हा..... ! लाजवाब !!!!

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  4. यहाँ पर गिलहरियाँ
    शिकार हैं सत्ता के गलियारे में
    पलने वाले बहेलियों के
    एक दिन गुम हो जाएँगी
    गिलहरियों की मासूमियत
    राजपथ पर

    बहुत सटीक प्रस्तुति..बहुत सुन्दर

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  5. एक दिन गुम हो जाएँगी
    गिलहरियों की मासूमियत
    राजपथ पर

    गिलहरियों का प्रतीकात्मक रूप में प्रयोग...कई असलियत बयाँ कर गया हैं..
    बहुत कुछ सोचने को विवश करती हुई कविता

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  6. वाह, हम तो यहां से सहम कर ही गुजरते हैं, आपको कविता सूझ गई.

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  7. यहाँ पर गिलहरियाँ
    शिकार हैं सत्ता के गलियारे में
    पलने वाले बहेलियों के
    एक दिन गुम हो जाएँगी
    गिलहरियों की मासूमियत
    राजपथ पर
    अभिव्यक्ति का नया अंदाज अच्छा लगा....

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  8. gilahariyon ke bahane rapath satta ke galiyare..aur aam jan ke sambandh ko bakhoobi ujagar kiya hai aapne....moongafali ke dano ke lalach me fans kar galiyaron me khade logo ke jal me fansati gilahariya ,aur sudoor basati gilahariyan jo is lalach me fansane ko hai lalayit...bahut sunder abhivyakti....

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  9. अब तो गिलहरियाँ
    चालाक हो गईं हैं
    हो गये हैं इनके भी पाले
    फुदकती गिलहरियों की आँखों में
    पलता है लालच, विद्वेष
    ... aisa bhi hai , baap re !

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  10. वो अफ़ीम जो राजपथ के दोनों ओर परोसी जाती है, चाहे सत्ता की हो या संपत्ति की, इन्सानों से लेकर गिल्हरियों जैसे कोमल प्राणीयों तक को लील लेती है!!
    आपकी पारखी नज़र से छिपा नहीं रहा यह भी!!

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  11. यहाँ पर गिलहरियाँ
    शिकार हैं सत्ता के गलियारे में
    पलने वाले बहेलियों के
    एक दिन गुम हो जाएँगी
    गिलहरियों की मासूमियत
    राजपथ पर

    रश्मि जी ने सही कहा है गिलहरियां ऐसे पटखनी खिलायेंगी की सन्न रह जायेगा दिमाग. अब विकास के अलाबा कोई छलाबा नहीं चल सकता.

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  12. राजपथ
    कभी इसका नाम था
    'किंग्स वे'
    जरुरत नहीं
    समझाने को इसका अर्थ
    बदल दिया है जिसने..............
    गिलहरियों का प्रतीकात्मक रूप में प्रयोग...अंदाज अच्छा लगा....
    पूरे राष्ट्र का चरित्र

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  13. rajpath aur uske saath gilahariyon ka prateekatmak chitran....aaj ke raaj-vyavastha pe vyangyatamak chot..achhi lageee...

    par ek baat lagta hai, kal aap rajpath ke park me gaye the. kya??:P

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  14. अरुण जी
    एक बार फिर वही कहूँगी ... हर शह आपसे बात करती है और आप सुन सकते है सब ...

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  15. अरुण जी
    एक् बार फिर निशब्द कर दिया…………आपकी लेखनी, आपकी सोच और गहन दृष्टिकोण को नमन है…………समझ नही आ रहा क्या कहूँ? गिलहरी और राजपथ के माध्यम से सारा नक्शा खींच दिया…………बेहतरीन रचना के लिये हार्दिक बधाई।

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  16. हम लोग जब गिलहरी को कुछ खिलाते हैं तो वो अपना पेट भरती है . अगर आपके जैसी सोच सबकी हो जाये तो सारी गिलहरी बेचारी भूखी मर जाएँगी, समझे

    हर जगह सहानुभूति नहीं दिखानी चाहिए . जो ज्यादा दया दिखाते हैं वो ही ज्यादा निर्दयी होते हैं

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  17. @अनु जी
    आदरणीय अनु जी गिलहरी और अन्य पशु पक्षियों को प्रकृति ने इतना सक्षम बनाया है कि वे अपना भोजन प्राप्त कर सकें.. यदि हम उन्हें कुछ देते हैं तो उनका प्राकृतिक व्यव्हार बदलता है और इस से प्रकृति के खाद्य चक्र (फ़ूड साइकिल) पर प्रतिकूल असर पड़ता है.... इस लिए जब कौवों को रेडिमेड खाना मिलने लगा है उनकी कीड़ो मकोडो को मारने की प्रकृति का क्षरण हो रहा है... ऐसे में खेती पर बहुत बुरा असर हो रहा है... ऐसे ही तमाम उदहारण हैं जब हम पशु पक्षियों के नैसर्गिक गुण को प्रभावित कर रहे हैं... और यहाँ गिलहरी तो प्रतीक है.. विम्ब है आम आदमी का जिसे सिस्टम बेकार कर है है... ब्लॉग पर आने के लिए शुक्रिया

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  18. गिलहरी और राजपथ के माध्यम से विचारों का सफल प्रस्तुतीकरण.... बेहतरीन रचना के लिये हार्दिक बधाई

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  19. आपने तो राजपथ की परिधि के पूरे दर्शन करा दिये और गिलहरी के माध्यम से सारी बातें भी कह दीं.क्या बात है.

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  20. गिलहरियों को प्रतीक बनाकर काफी कुछ बयां कर दिया आपने.प्रभावशाली अभिव्यक्ति.

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  21. राजपथ व गिलहरियाँ। क्या सम्बन्ध निकाला है?

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  22. "यहाँ पर गिलहरियाँ /शिकार हैं सत्ता के गलियारे में/पलने वाले बहेलियों के /एक दिन गुम हो जाएँगी /गिलहरियों की मासूमियत/ राजपथ पर. आज की व्यवस्था पर चोट कराती आपकी रचना अच्छी बन पड़ी है. बधाई स्वीकारें. अवनीश सिंह चौहान.

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  23. यहाँ पर गिलहरियाँ
    शिकार हैं सत्ता के गलियारे में
    पलने वाले बहेलियों के
    एक दिन गुम हो जाएँगी
    गिलहरियों की मासूमियत
    राजपथ पर
    सटीक और बेहतरीन प्रस्तुति। आभार।

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  24. क्या साम्य दिखाया है आपने...वाह....

    एकदम जीवंत और सटीक चित्रण किया है...

    बेजोड़ !!!!

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  25. संभवतः यह कविता आपकी अब तक लिखी कविताओं में सर्वश्रेष्ठ है .ऐसी कविताएँ कम ही पढ़ने को मिल पाती हैं .गिलहरी के माध्यम से अपने राजपथ का सारा तिलस्म ही खोल दिया .बधाई .

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