१
बनियान
जिसमे हो गए हैं
असंख्य छेद
पीठ पर उगे
समय के काँटों से
उलझ कर,
रंग देना उसे प्रिये
इस होली
लाल रंग में
लहराते झंडे की तरह लाल .
२
कमर से
बंधी है जो
घुटने तक धोती
कभी रही होगी
धवल सफ़ेद
समय के खिलाफ
मिटटी से लड़कर
आज मटमैली हो गई है
रंग देना प्रिये
इस होली
हरे रंग में
लहलहाते खेतों की तरह हरी
३.
पैरों में
टायर की काली चप्पल
जो पड़ी है सालों से
घिसने लगी है अब
कोलतार वाली सडको पर
चल कर
रंग देना प्रिये
इस होली
सुनहरे रंग में
रोशनी से सुनहरे रंग में
४.
कंधे पर
रखा है जो अंगोछा
सोख सोख कर पसीना
हो गया है
उसी के रंग सा बदरंग
रंग देना प्रिये
इस होली
गहरे नीले रंग में
आसमान सा नीला जो टिका रहे कन्धों पर
५.
चेहरे पर
उग आयी हैं
पगडंडियाँ
मानो हर रोज़
इस रास्ते गया हो कोई
आँखों में
ठहरी हुई है
एक नदी
अरसे से
गंदला हो गया है पानी
रुकने से
घोल देना इसमें प्रिये
बहते हुए पानी का रंग
इस होली
कि फिर कोई और नदी ठहरे नहीं.
पगडंडियाँ
मानो हर रोज़
इस रास्ते गया हो कोई
अनजान लक्ष्य की तरफ
फिर लौट कर न आया हो
इन्हें भर देना प्रिये
मुट्ठी भर गुलाल से
इस होली
फिर लौट कर न आया हो
इन्हें भर देना प्रिये
मुट्ठी भर गुलाल से
इस होली
समय जैसे भर देता है सारे घाव
६ .
६ .
आँखों में
ठहरी हुई है
एक नदी
अरसे से
गंदला हो गया है पानी
रुकने से
घोल देना इसमें प्रिये
बहते हुए पानी का रंग
इस होली
कि फिर कोई और नदी ठहरे नहीं.
अरुण जी इस विचारोत्तेजक कविता पर अपनी विस्तृत राय तो बाद में दूंगा, हो सका तो आंच पर। अभी तो मुनव्वर राणा का एक शे’र याद आ गया
जवाब देंहटाएंकिसी के पास आते हैं तो दरिया सूख जाते हैं
किसी की एड़ियों से रेत में चश्मा निकलता है।
फजा़ में घोल दी है नफ़रतें अहले सियासत ने
मगर पानी कुंए से आज तक मीठा निकलता है। -- मुनव्वर राना
Holee bahut,bahut mubarak ho!
जवाब देंहटाएंटिप्पणियों से सतरंगी हुई, इन्द्रधनुषी होली.
जवाब देंहटाएंहफ़्तों तक खाते रहो, गुझिया ले ले स्वाद.
जवाब देंहटाएंमगर कभी मत भूलना,नाम भक्त प्रहलाद.
होली की हार्दिक शुभकामनायें.
होली सब बह जाने का नाम है, बह जाने दें सब कुछ।
जवाब देंहटाएंआप सभी को होली की हार्दिक शुभकामनाये
जवाब देंहटाएंहफ़्तों तक खाते रहो, गुझिया ले ले स्वाद.
जवाब देंहटाएंमगर कभी मत भूलना,नाम भक्त प्रहलाद.
होली की हार्दिक शुभकामनाये
आँखों में
जवाब देंहटाएंठहरी हुई है
एक नदी
अरसे से
मटमैला हो गया है पानी
रुकने से
घोल देना इसमें प्रिये
बहते हुए पानी का रंग
इस होली
कि फिर कोई और नदी ठहरे नहीं. .. bahut badhiyaa , mann ko moh liya in panktiyon ne , holi ki shubhkamnayen
सुभानाल्लाह.....मेरा सलाम आपको इस पोस्ट के लिए......मार्मिकता में लिपटा सच कितने करीने से आपने रंगों में डुबो दिया है.....वाह
जवाब देंहटाएंहोली पर आपको सपरिवार शुभकामनायें!
जवाब देंहटाएंआपको सपरिवार होली की हार्दिक शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंआपको और समस्त परिवार को होली की हार्दिक बधाई और मंगल कामनाएँ ....
जवाब देंहटाएंनेह और अपनेपन के
जवाब देंहटाएंइंद्रधनुषी रंगों से सजी होली
उमंग और उल्लास का गुलाल
हमारे जीवनों मे उंडेल दे.
आप को सपरिवार होली की ढेरों शुभकामनाएं.
सादर
डोरोथी.
kya kahen kaise kahen ...kis kis raaste ghuma laaee hai ye kavita ..
जवाब देंहटाएंआँखों की ठहरी नदी में घोलना पानी इस तरह की फिर कोई नदी ठहरे नहीं ...
जवाब देंहटाएंघुल जाए सभी रंग ...शुभकामनायें !
वाह अरुण जी... बहुत ही कमाल का लिखा है... बेहतरीन!
जवाब देंहटाएंछेद वाली बनियान
जवाब देंहटाएंमटमैली धोती
और कंधे पर रखे अँगोछे से बहुत ही सलीके से सजाई है आपने ये रचना| बधाई अरुण चंद्र रॉय जी|
क्या कहूं अरुण जी………………निशब्द कर दिया………………अभी तो पढने के बाद इस सोच मे हूँ कि कहूँ क्या?
जवाब देंहटाएंगहराई युक्त रचना के लिये साधुवाद
जवाब देंहटाएंमनोभावों को भी रंगना होगा
AAM ADMI KI HOLI TO YAHI HAI. ZAMEEN SE JUDI RACHNA KE SABHI KHAND BEJOD HAIN.
जवाब देंहटाएंKALAM YAHIN SARTHAK HOTI HAI.
BAHUT-BAHUT AABHAR.
umda rachna hai, very thoughtful...
जवाब देंहटाएंek aam aadmi k man ki soch to yahi hogi ki kash koi holi aisi bhi ho jo apne rang me sare gareebi ke rango par haavi ho jaye. bahut sunder soch aur ek sashakt rachna par badhayi.
जवाब देंहटाएंबेहद मासूम सी अभिलाषा व्यक्त करती कविता....
जवाब देंहटाएंएक ही शब्द ..आमीन !!!
सबके जीवन में ऐसे रंग बिखरे...कि जीवन का रंग इन्द्रधनुषी हो जाए
waah
जवाब देंहटाएंआपने ऐसा रंगा अपनी कविता के रंग में कि होली की याद ताजा हो गयी.तो फिर से एक बार और होली की शुभ कमाना.
जवाब देंहटाएं