सोमवार, 12 जून 2017

विश्राम




समय 
तुम कब रुके थे आखिरी बार 
याद है क्या तुम्हे 
विश्राम का कोई एक पल 

समय क्या तुम रुके थे 
जब सीता के लिए फटी थी पृथ्वी 
या फिर राम ने ली थी जल समाधि 
द्रौपदी के चीरहरण पर 
अभिमन्यु की मृत्यु पर ही।  

समाधिस्थ हो रहे बुद्ध को देख भी 
समय तुम नहीं ठहरे 
न ही ठहरे तुम नालंदा को जलते देख 
कलिंग के भीषण नरसंहार को देख भी 
तुम्हे वितृष्णा नहीं हुई 
 रुके नहीं तुम, समय 

हिरोशिमा और नागाशाकी में 
आधुनिक विज्ञानं के चमत्कारिक नरसंहार के 
बने तुम साक्षी 
समय, तुम क्यों नहीं करते विश्राम !

तुम रुक गए तो क्या होगा अधिक से अधिक 
गहन अन्धकार की सुबह नहीं होगी 
किन्तु क्या तुमने सोचा है कितना अन्धकार है 
इस रौशनी के पीछे ! 

समय, तुम्हे विश्राम की आवश्यकता है, जाओ, ठहर जाओ।  

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