जिनकी थाली नहीं है रोटी
उन भूखों का गीत हूँ
जिनके बोल सुने न कोई
उनके स्वर का संगीत हूँ
मैं भूख का गीत हूँ .
उम्मीद रोप कर आया वह
उस भविष्य का बीज हूँ
जिनके घर पसरा अँधेरा
उनका दिवाली तीज हूँ
मैं भूख का गीत हूँ .
पत्ते झडे ज्यों शाख से
मौसम का पीत हूँ
उम्र जिनकी गुज़र गई
उस दर्द की रीत हूँ
मैं भूख का गीत हूँ .
उन भूखों का गीत हूँ
जिनके बोल सुने न कोई
उनके स्वर का संगीत हूँ
मैं भूख का गीत हूँ .
उम्मीद रोप कर आया वह
उस भविष्य का बीज हूँ
जिनके घर पसरा अँधेरा
उनका दिवाली तीज हूँ
मैं भूख का गीत हूँ .
पत्ते झडे ज्यों शाख से
मौसम का पीत हूँ
उम्र जिनकी गुज़र गई
उस दर्द की रीत हूँ
मैं भूख का गीत हूँ .
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (18-01-2019) को "क्या मुसीबत है" (चर्चा अंक-3220) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सुन्दर
जवाब देंहटाएंबहुत खूब ... लाजवाब अभिव्यक्ति ...
जवाब देंहटाएंBeautiful...
जवाब देंहटाएंwhatsapp status good morning