गुरुवार, 9 जनवरी 2025

बिन पिता की बेटियाँ

बेटियाँ 

सबसे अधिक प्रेम करती हैं 

अपने पिता से 

वे होती हैं सबसे अधिक आकर्षित 

अपने पिता सरीखे पुरुषों से 

जो दे सके उन्हें भरोसा, 

जो खड़ा हो सके उनके साथ 

धूप में , छाँव में 

ऐसा नहीं है कि बरगद जैसे पिता की छाया में 

बेटियाँ बढ़ती नहीं है 

बल्कि वे तितली हो उठती हैं 

सुरक्षा के भाव के साथ । 


कुछ बेटियाँ ऐसी भी होती हैं 

जिन्हें कभी नहीं मिला होता है 

पिता का खुरदरे हाथों का स्नेह-सिक्त प्यार 

या फिर बैठकर पिता के चौड़े कंधों पर 

आसमान को छूने का अनुभव 

ऐसी बेटियाँ अक्सर बातें करती हैं अपने पिता से 

कल्पनाओं में, अकेले में 

कोई और पुरुष शायद ही बाँट सके इस अकेलेपन को । 


बेटियाँ कई सारी बातें 

वे बांटती केवल पिता से 

जब वे लौटती हैं स्कूल से 

कॉलेज से या दफ्तर से 

या फिर मायके से 

और जब पिता नहीं होते 

या जिन बेटियों के पिता नहीं होते

वे अक्सर ओढ़ लेती हैं 

चुप्पी का लिहाफ

कुछ बेटियाँ अपने अकेलेपन से भागकर 

हंसने लगती हैं, बातूनी हो जाती हैं 

और कुछ इस तरह भीतर ही भीतर छुपाती हैं अपना दर्द ! 


ईश्वर किसी बेटी को पिताविहीन न बनाए 

ऐसी प्रार्थनाएँ अक्सर करती हैं बेटियाँ 

अपने सिले हुये ओठों से बुदबुदाते हुये 

सच बात यह है कि बेटियों की  बुदबुदाती हुई बातों को 

सबसे सटीक समझते हैं पिता है 

सबसे पहले समझते हैं पिता ! 



4 टिप्‍पणियां:

  1. हृदयस्पर्शी अभिव्यक्ति सर।
    सादर।
    -----
    जी नमस्ते,

    आपकी लिखी रचना शुक्रवार १० जनवरी २०२५ के लिए साझा की गयी है

    पांच लिंकों का आनंद पर...

    आप भी सादर आमंत्रित हैं।

    सादर

    धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  2. हृदयस्पर्शी अभिव्यक्ति सर।
    सादर।
    -----
    जी नमस्ते,

    आपकी लिखी रचना शुक्रवार १० जनवरी २०२५ के लिए साझा की गयी है

    पांच लिंकों का आनंद पर...

    आप भी सादर आमंत्रित हैं।

    सादर

    धन्यवाद।

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