फड़फड़ा के रह जाते हैं पन्ने कभी कोरे रह जाते हैं कभी कोई लिख जाता है दुःख कोई लिख जाता है मृत्यु पतझड़ सूखा बाढ़ पन्ने अकेले टूट जाते हैं फड़फड़ा के रह जाते हैं नींद में पन्ने खुश हो जाते हैं जब तुम लिख जाती हो प्रेम !
अहसासों को महसूस करना...फिर शब्दों में ढालना...कमाल है...
आओ मिल कर समेटें इन पन्नों को हम सबको जरुरत है इन्हीं कुछ पन्नों की
ham bhi panne jaise hi hai.............
sahi rishabh bhai
हृदयस्पर्शी भावपूर्ण प्रस्तुति.बहुत शानदार भावसंयोजन .आपको बधाई
shukriya madan ji
प्रेम अगर लिखा रहे बहुत समय तक ... दिखाई दे जागने तक तो सार्थक हो जाते हैं पन्ने ... बहुत उम्दा भाव पूर्ण रचना ....
theek kaha panne ikathhe ho tabhi rah oaayege,,,bahut sunder....
अहसासों को महसूस करना...फिर शब्दों में ढालना...कमाल है...
जवाब देंहटाएंआओ मिल कर समेटें इन पन्नों को
जवाब देंहटाएंहम सबको जरुरत है इन्हीं कुछ पन्नों की
ham bhi panne jaise hi hai.............
जवाब देंहटाएंsahi rishabh bhai
हटाएंham bhi panne jaise hi hai.............
जवाब देंहटाएंहृदयस्पर्शी भावपूर्ण प्रस्तुति.बहुत शानदार भावसंयोजन .आपको बधाई
जवाब देंहटाएंshukriya madan ji
हटाएंप्रेम अगर लिखा रहे बहुत समय तक ... दिखाई दे जागने तक तो सार्थक हो जाते हैं पन्ने ...
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा भाव पूर्ण रचना ....
theek kaha panne ikathhe ho tabhi rah oaayege,,,bahut sunder....
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